रायपुर। कोविड-19 से जुड़े रिसर्च में छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिलती दिख रही है। रायपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल स्थित मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने सार्स सीओवी-2 वायरस के सीरो-जांच व निगरानी के लिए एक जांच किट बना ली है। यह सार्स सीओवी-2 वायरस यानी कोरोना के विरुद्ध शरीर में बनने वाले न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का पता आसानी से लगा लेगा। मतलब जांच किट यह बताएगा कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारा शरीर कितना तैयार है। जांच किट को जून के पहले या दूसरे सप्ताह में आईएमसीआर को अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद अगस्त के आखिर तक किट के मार्केट में आने की उम्मीद है। मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. जगन्नाथ पाल के नेतृत्व में इस किट को तैयार करने वाली टीम में जूनियर साइंटिस्ट डॉ. योगिता राजपूत भी शामिल हैं। बताया गया, यह रिसर्च अपने अंतिम चरण में है और जब यह रिसर्च इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च द्वारा स्वीकृत हो जाएगा तो क्लीनिकों में एंटीबॉडी आधारित इस जांच किट का उपयोग किया जा सकेगा। संभवत: यह कोविड-19 के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए भारत में दूसरा स्वदेशी डायग्नोस्टिक व सबसे कम लागत वाला टेस्टिंग किट होगा। अब तक टफव में तकनीक विकसित की जा चुकी है। कुछ सीरम नमूनों पर प्रारंभिक परीक्षण किए गए हैं। इनमें ऐसे लोगों के नमूने थे जिन्हें कोरोना का टीका लगाया गया था अथवा जो पहले कोविड 19 से पीड़ित थे। एमआरयू
की जूनियर साइंटिस्ट डॉ. योगिता राजपूत ने बताया, इस जांच के लिए शरीर से खून का नमूना लिया जा रहा है। नमूना लेने से प्रयोगशाला में जांच तक पूरी प्रक्रिया दो घंटे में पूरी हो जाएगी। यह बेहद सस्ता भी होगा। इसकी जांच का खर्च भी पांच से 10 रुपए ही आएगा। उन्होंने बताया, अभी हम इस किट का ट्रायल कर रहे हैं। ट्रायल के परिणामों का विश्लेषण करने के बाद इसे अप्रूवल के लिए कउटफ को भेजा जाएगा।
क्या है यह न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी
यह एक ऐसी एंटीबॉडी है जो कोरोना वायरस को निष्प्रभावी करने के लिये शरीर द्वारा विकसित किया जाता है। यह एंटीबॉडी वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से पहले बेअसर कर देता है। इस तरह शरीर संक्रमण से बच जाता है। इस एंटीबॉडी के कारण कोशिका का जैविक प्रभाव बाधित नहीं होता और मरीजों में सार्स सीओवी -2 वायरस के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण होता है। कोरोना का टीकाकरण शुरू हो चुका है। लेकिन कोविड-19 संक्रमण या टीकाकरण के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया अलग-अलग व्यक्तियों में समान नहीं हो सकती। देखने में आया है कि टीकाकरण करा चुके कई लोग दोबारा संक्रमित हुए हैं। इसलिए कोविड -19 संक्रमण या टीकाकरण के बाद प्लाज्मा में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का पता लगाना बहुत जरूरी है। इससे यह पता चलेगा कि किसके पुन: संक्रमित होने की संभावना हो सकती है। रिसर्चरों के मुताबिक इसकी प्रक्रिया बहुत सरल है। परीक्षण के लिए जीवित सार्स सीओवी-2 वायरस की कोई आवश्यकता नहीं है परीक्षण 2 घंटे में किया जा सकता है। कम तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत है। रीएजेंट (अभिकर्मक) लागत बहुत सस्ती होगी। यह परीक्षण फ्लो साइटोमेट्री आधारित है। और सस्ती कीमत पर साधारण बीएसएल-2 प्रयोगशाला में परीक्षण किया जा सकता है।