
छत्तीसगढ़ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव के पहले बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों के भुगतान का अधिकार ख़त्म कर दिया है। निकायों के सभी प्रकार के भुगतान का अधिकार सीएमओ को दे दिए गए हैं। नगरीय प्रशासन विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके साथ ही भाजपा और कांग्रेस के बीच अधिकार पर रार ठन गई है। कांग्रेस इसे जनविरोधी बता रही है तो भाजपा जनहितैषी।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष ही चेक पर हस्ताक्षर करते थे। नगरीय निकायों में सभी प्रकार के सरकारी भुगतान के लिए नई प्रक्रिया लागू कर दी गई है। अब नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष किसी भी प्रकार के शासकीय चेक पर हस्ताक्षर नहीं कर सकेंगे। सीएमओ अकेले चेक पर हस्ताक्षर करने सक्षम होंगे। हालांकि सीएमओ द्वारा जारी भुगतान की सूचना तीन दिनों के अंदर अध्यक्ष को भेजी जाएगी।
नगरीय निकाय चुनाव से पहले इस आदेश से कांग्रेस समर्थित अध्यक्षों को बड़ा झटका लगा है। सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा अधिकांश नगर निकायों में अध्यक्ष कांग्रेस के हैं, इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है। कांग्रेस मांग करती है कि इस अधिसूचना को रद्द कर जनप्रतिनिधि के ये अधिकार फिर से बहाल किए जाएं। वहीं, भाजपा ने कहा कि अब नगर पालिकाओं और पंचायतों में CEO ही चेक पर हस्ताक्षर करेंगे। इससे निकायों में बेहतर ढंग से काम हो सकेगा और जनप्रतिनिधि विकास कार्यों पर अधिक ध्यान दे सकेंगे।