भिलाई। बेहतर भविष्य, करियर का सपना लिए सात समंदर पार यूक्रेन गए छात्र-छात्राओं के परिजनों की नींद उड़ी हुई है। बहन-मां ने खाना-पीना छोड़ रखा है तो पिता-भाई के हाथ से मोबाइल छूट ही नहीं रहा है, वे लगातार रायपुर-दिल्ली के तमाम आफिस, अफसरों, नेताओं को फोन लगा रहे हैं कि हमारे बच्चों को घर पहुंचा दो। उधर यूक्रेन के बंकरों में छिपे बच्चे, परिजनों की ऐसी हालत देखकर, अपने हंसते हुए फोटोग्राफ भेज रही हैं, वीडियो कॉल पर कह रही हैं पापा चिंता मत करो हम लोग बिलकुल सेफ हैं। भिलाई मॉडल टाउन निवासी अशोक कुमार पाण्डेय कहते हैं कि उनकी बेटी दीप्ति वहां डर के साए में जी रही है। हर पल मौत का खतरा है। चारों ओर धमाके हो रहे हैं लेकिन हमको दिलासा देने के लिए बंकर में छिपे होने के बावजूद भी बेटी कहती है कि पापा आप चिंता न करो मैं ठीक हूं। सीनियर्स पेरेंट्स की तरह उनकी देखभाल कर रहे हैं। अपनी गीली आंखें पोंछते हुए अशोक कहते हैं कि छत्तीसगढ़-भारत सरकार को बच्चों को लाने के लिए, वहां सुरक्षित रखने के लिए जल्दी ही कुछ करना चाहिए।
माइनस डिग्री टेम्प्रेचर, बच्चों की तबीयत खराब हो रही है
अशोक पाण्डेय की 19 वर्षीय बेटी दीप्ती यूक्रेन एमबीबीएस करने गई है। भले ही उनकी बेटी हमें हिम्मत दे रही है, लेकिन वहां की भयावह स्थिति को हर मां-बाप समझ रहे हैं। वहां माइनस डिग्री का टम्प्रेचर है। ऐसे में बच्चों को डर के बीच इधर उधर रात गुजारनी पड़ रही है। इससे उनकी सेहत पर फर्क पड़ रहा है। उनकी तबीयत भी खराब होनी शुरू हो गई है। जीवन की आस को लेकर बच्चे पूरी हिम्मत के साथ वहां डटे हुए हैं। उनकी ये हिम्मत टूटे इससे पहले भारत सरकार को उन्हें सुरक्षित लाने के लिए कुछ करना चाहिए।
दहशत के बीच जीने को मजबूर हैं बच्चे
उन्होंने बताया कि यूक्रेन का माहौल बहुत ही दहशत भरा है। मेट्रो में शिफ्ट होने के लिए बोला जा रहा है। बंकर में रात गुजारनी पड़ रही है। धमाकों की आवाज से बच्चे सो नहीं पा रहे हैं। इससे उनकी बेटी ही नहीं सभी बच्चे बहुत घबराहट में जी रहे हैं।
यूक्रेन सरकार कोई मदद नहीं कर रही
दीप्ती ने बताया कि यूक्रेन की सरकार कोई मदद नहीं कर रही है। हॉस्टल और खारक्यू इंटरनेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में जो उनके भारतीय सीनियर्स हैं वो उनके पैरेंट्स का रोल अदा कर रहे हैं। वही लोग यह डिसाइड कर रहे हैं कि उन्हें कहां रखना है और वह कैसे सुरक्षित रह पाएंगे। 24 फरवरी की सुबह सीनियर्स ने सभी बच्चों को बोला कि वह अपने खाने का सामान और पीने का पानी के साथ ही अपने सभी डाकूमेंट्स रेडी रखो, कभी मेट्रो या अन्य जगह शिफ्ट किया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने जरूरी सामान खरीदा और फिर उन्हें एक मेट्रो स्टेशन में शिफ्ट कर दिया गया।
दुर्ग विधायक पहुंचे हाल जानने
दुर्ग विधायक अरुण वोरा शुक्रवार सुबह अशोक पाण्डेय के घर मॉडल टाउन पहुंचे। उन्होंने वहां उनका हाल जाना और वीडियो कॉलिंग से दीप्ति से बात कर वहां का हाल जाना। वोरा ने कहा कि छ्त्तीसगढ़ सरकार बच्चों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए भारत सरकार से लगातार चर्चा की जा रही है। जल्द ही सभी बच्चे सुरक्षित आ जाएंगे।