
छत्तीसगढ़ के जशपुर संभाग में जल संसाधन विभाग में 2.93 करोड़ की वित्तीय अनियमितता का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सुसडेगा व्यपवर्तन योजना के तहत कार्यपालन अभियंता विजय जामनिक पर ठेकेदार को समय से पहले अतिरिक्त सुरक्षा निधि जारी करने का गंभीर आरोप लगा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने जामनिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है और पूरे प्रकरण की विभागीय जांच के आदेश जारी किए हैं। यह कार्रवाई वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
प्रकरण के अनुसार, 2021 में शुरू हुई सुसडेगा व्यपवर्तन योजना के अनुबंध क्रमांक 19 डी.एल./2020-21 के तहत ठेकेदार ने 2,93,90,000 की अतिरिक्त सुरक्षा निधि दो एफडीआर (1,46,95,000 प्रत्येक) के रूप में जमा की थी। नियमानुसार, यह राशि कार्य पूर्ण होने और पूर्णता प्रमाण पत्र जारी होने के बाद ही वापस की जा सकती थी। हालांकि, जांच में खुलासा हुआ कि विजय जामनिक ने नियमों की अनदेखी करते हुए दोनों एफडीआर समय से पहले रिलीज कर दिए, जबकि कार्य की प्रगति मात्र 60 प्रतिशत थी। इससे ठेकेदार को अवैध रूप से 2.93 करोड़ का लाभ पहुंचा।
वर्तमान में योजना का कार्य अधूरा है और ठेकेदार द्वारा शेष कार्य पूरा करने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। सुरक्षा निधि पहले ही रिलीज होने के कारण विभाग अब इसे राजसात नहीं कर पाएगा, जिससे राजकोष को भारी नुकसान होने की आशंका है। इस अनियमितता ने विभागीय कार्यप्रणाली और वित्तीय अनुशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए विजय जामनिक को निलंबित कर उनका मुख्यालय मुख्य अभियंता, महानदी गोदावरी कच्छार, जल संसाधन विभाग, रायपुर निर्धारित किया है।
निलंबन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा। साथ ही, इस मामले की गहन विभागीय जांच शुरू की गई है। यह कार्रवाई अन्य अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि वित्तीय अनुशासनहीनता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।