पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में शांति बहाली का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि इस क्षेत्र सक्रिय सबसे बड़े उग्रवादी समूह ने हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार के साथ शांति समझौता कर लिया है। यह समझौता केंद्र सरकार और उग्रवादी समूह के बीच हुआ। दोनों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह जानकारी स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दी।
मणिपुर में हिंसा के बीच इस समझौते से शांति की आस जगी है। यहां सक्रिय सबसे बड़े हथियारबंद संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने केंद्र सरकार के साथ नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। मणिुपर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दो दिन पहले मणिपुर में शांति स्थापित करने के संकेत दिए थे।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 26 नवंबर को कहा था कि उनकी सरकार इंफाल घाटी के एक उग्रवादी समूह के साथ वार्ता कर रही है और जल्द ही एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। सिंह ने कहा था कि वार्ता अग्रिम चरण में है। तब उन्होंने भूमिगत संगठन का नाम नहीं लिया। राज्य में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह पहली बार है किसी बड़े उग्रवाही समूह ने शांति के समझौते पर दस्तखत किए हैं।