चुनाव खत्म होने के साथ छत्तीसगढ़ फिर ट्रेनों के रद्द होने का सिलसिला शुरू हो गया है। डेवलपमेंट वर्क के नाम पर लगातार ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है। स्थिति यह है कि दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे में 50 से ज्यादा ट्रेनें रद्द की जा चुकी हैं। छुट्टियों के सीजन में ट्रेनों के रद्द होने से यात्री सुविधा का सिस्टम बेपटरी हो गया है। इससे रेलयात्री खासे परेशान हो रहे हैं।
चुनाव से पहले और चुनाव में ट्रेनों को रद्द किए जाने का मुद्दा जोर-शोर से गूंजा। तब माना जा रहा था कि इसमें कोई सुधार आएगा और रेल यात्रियों को बेहतर यात्री सुविधा मिलेगी। चुनाव खत्म होने के साथ इसके उलट फिर से ट्रेनों के रद्द होने का सिलसिला शुरू हो गया है। डेवलपमेंट वर्क के नाम पर लगातार ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है। बीते 15 दिनों में ही 50 से ज्यादा ट्रेनें रद्द की जा चुकी हैं। अलग- अलग सेक्शन में लाइन विस्तार व अन्य डेवलपमेंट वर्क का हवाला देते हुए ट्रेनों को रद्द किया गया है। इधर छुट्टियों का सीजन चल रहा है। ऐसे में इस बीच थोक में ट्रेनों के रद्द होने से यात्री सुविधा का सिस्टम बेपटरी हो गया है। रेल यात्री खासे परेशान हो रहे हैं। रेल यात्रियों का शेड्यूल गड़बड़ा गया है।
हालात यह है कि, रेल यात्रियों को अपना प्लान कैंसल करना पड़ रहा है, या फिर गिनी चुनी चलने वाली ट्रेनों में उन्हें धक्के खाते हुए मजबूरन सफर करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर बात करें तो आम रेल यात्री रेलवे के इस सिस्टम में सबसे ज्यादा हलाकान परेशान है। रेल यात्रियों का कहना है कि उनकी समस्या से न तो रेलवे को कोई सरोकार है और ना ही जिम्मेदारों को। तमाम चर्चा और शोर के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। रेल अधिकारी तत्कालीन परेशानी को आने वाले समय में मिलने वाली बेहतर रेल सुविधा से जोड़ रहे हैं। रेल अधिकारियों का कहना है, लाइन विस्तार और डेवलपमेंट वर्क से रेल सुविधाएं बढ़ेंगी। क्षमता के साथ ट्रेनों का परिचालन समय में होगा।