
आपने यह एडवरटाइजमेंट तो सुना ही होगा कि आपको मोहल्ले के ग्रॉसरी शॉप पर जाने की जरूरत नहीं है। हम आपको 10 मिनट में मुहैया कराएंगे घर के सारे सामान। ऐसा एक एडवरटाइजमेंट नहीं है, बल्कि शब्द बदल-बदलकर अधिकतर ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों की ओर से ऐसा ही कहा जा रहा है। इस तरह के मार्केटिंग कैंपेन ने देश के लाखों खुदरा कारोबारियों को डरा दिया है। ई-कॉमर्स कंपनियों ने उनके मुनाफे को पहले ही कम कर दिया था। अब उनके रोजगार पर संकट पैदा हो गया है। इससे मुकाबला करने के लिए रिटेलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स एकजुट होकर स्ट्रैटजी बनाने में लग गए हैं।
ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों से अपना बिजनेस बचाने के लिए एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स और रिटेलर्स ने बड़ी तैयारी की है। इसके तहत देश के 500 जिलों और 700 बाकी शहरों में मीटिंग कर ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों के खतरे से अवगत कराया जाएगा। कारोबार बचाने के लिए लोकल लेवल पर स्ट्रैटजी बनाने को भी प्रमोट किया जाएगा। यह कैंपेन 20 जनवरी से 31 मार्च के बीच चलाया जाएगा। ऑनलाइन रिटेलिंग का मुकाबला करने के लिए तीन महीने तक कैंपेन चलाने की यह योजना ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रॉडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन यानी AICPDF ने बनाई है। एआईसीपीडीएफ इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय समेत देश के विभिन्न मंत्रालयों को पत्र लिखकर ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ शिकायत कर चुका है। साथ ही रिटेलर्स के रोजगार बचाने की गुहार लगा चुका है। कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया यानी सीसीआई ने AICPDF की शिकायत के आधार पर कई क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ जांच की बात कही है। AICPDF के साथ देशभर के चार लाख डिस्ट्रीब्यूटर और साढ़े तीन लाख सब डिस्ट्रीब्यूटर जुड़े हैं।
देश में एक करोड 30 लाख रिटेलर और आठ लाख डिस्ट्रिब्यूटर हैं। AICPDF की ओर से एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया है कि ये लोग भारत की इकोनॉमी के बैकबोन हैं। इनके रोजगार पर संकट से इन पर निर्भर करोड़ों लोगों के खाने के लाले पड़ जाएंगे।