
रायपुर, 04 जुलाई 2025/कभी वीरान पड़ा नारायणपुर जिले का ईरकभट्टी गांव आज बच्चों की चहचहाहट से फिर जीवंत हो उठा है। वर्षों से बंद पड़ा प्राथमिक स्कूल अब दोबारा खुल चुका है, और छोटे-छोटे हाथों में किताबें, आंखों में सपने लिए बच्चे वहां पढ़ाई कर रहे हैं।
माओवाद प्रभावित इस क्षेत्र में शिक्षा की लौ फिर से जल उठी है, जिसका श्रेय ‘नियद नेल्ला नार’ योजना और शासन की युक्तियुक्तकरण नीति को जाता है। इन पहलों के तहत सुरक्षा कैंपों के पास के गांवों में सड़क, बिजली और शिक्षा जैसी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं।
ईरकभट्टी में अब दो शिक्षक—अशोक भगत और लीला नेताम—नियमित रूप से पढ़ा रहे हैं। शिक्षिका नेताम बताती हैं कि बच्चों की मुस्कान ही उन्हें यहां टिकाए हुए है। अब गांव के अभिभावक अपने बच्चों को खुद स्कूल पहुंचाते हैं। बुजुर्ग मंगतु बाई की आंखों में खुशी के आंसू हैं, क्योंकि अब उनकी पोती भी अफसर बनने का सपना देख सकती है।
‘नियद नेल्ला नार’ यानी ‘आपका अच्छा गांव’ योजना ने अबुझमाड़ जैसे क्षेत्रों में उम्मीद की किरण जगाई है। ईरकभट्टी की यह कहानी हजारों उपेक्षित गांवों की आवाज़ बन रही है।