कोरोना महामारी के दौरान सुर्खियों में रहने वाली मलेरिया-रोधी-दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षण पर रोक लग गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को कोरोना वायरस के उपचार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षण को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इस फैसले के बाद यह आशंका प्रबल हो गई है कि एक बार फिर डब्ल्यूएचओ और राष्ट्रपति ट्रंप आमने-सामने हो सकते है। यह टकराव भले ही सामने न आए, लेकिन ट्रंप इस लेकर मन में गांठ जरूर बांध लेंंगे।
राष्ट्रपति ट्रंप को लगा जोर का झटका
डब्ल्यूएचओ के इस फैसले से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निश्चित रूप से जोर का झटका लगा होगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर काफी दबाव बनाकर इस दवा को मंगवाया था। दवा मिलने पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को थैंक्स भी बोला था। इत्ता ही नहीं, दवा नहीं देने पर भारत को अप्रत्यक्ष रूप से धमकाया भी था। राष्ट्रपति ट्रंप इस दवा के सबसे बड़े प्रशंसक और प्रचारक हैं। विपक्ष के तमाम विरोध के बावजूद वह इस दवा की सराहना करते रहते हैं। उन्होंने कई मौकों पर इस कोरोना वायरस से बचने के लिए दवा को लेने का पाठ भी पढ़ाया। अभी हाल में मलेरिया-रोधी-दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन तब सुर्खियों में आई जब ट्रंप ने कहा कि वह नियमित रूप से इस दवा का सेवन करते हैं। यह राज खुलने के बाद विपक्ष ने उन पर प्रहार शुरू कर दिया, लेकिन वह अपने स्टैंड पर कायम रहे।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घिबेयियस कहा कि लैंसेट मेडिकल जर्नल में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक पेपर के मद्देनजर इस कदम को उठाया गया है। गौरतलब है इस पेपर में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को हृदय के लिए घातक बताया गया है। इसमें कहा गया है कि इससे जान जाने का भी खतरा है। इस फैसले के बाद यह आशंका प्रबल हो गई है कि एक बार फिर डब्ल्यूएचओ और राष्ट्रपति ट्रंप आमने-सामने हो सकते है। यह टकराव भले ही सामने न आए, लेकिन ट्रंप इस लेकर मन में गांठ जरूर बांध लेगे।









