नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश भर में ब्लॉक लेवल तक कोरोना वैक्सीन लगाने की तैयारी पूरी कर ली है। इसके मैनेजमेंट और वैक्सीनेशन की प्रोसेस को परखने के लिए चार राज्यों में अगले हफ्ते दो दिन का ट्रायल किया जाएगा। इसके लिए आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात और पंजाब को चुना गया है। हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर मिनिस्ट्री ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सरकार उन सभी लोगों को ट्रेनिंग दे चुकी है, जो वैक्सीनेशन के दौरान पूरा मैनेजमेंट संभालेंगे। इसके लिए वैक्सीन हैंडलर और एडमिनिस्ट्रेटर की कैटेगरी बनाकर एक ट्रेनिंग मॉड्यूल डेवलप किया गया था। इनमें मेडिकल आॅफिसर, वैक्सीनेटर, अल्टरनेटिव वैक्सीनेटर, कोल्ड चेन हैंडलर, सुपरवाइजर, डेटा मैनेजर, आशा कोआर्डिनेटर समेत दूसरे लोग शामिल किए गए। ये सभी अलग-अलग लेवल पर वैक्सीनेशन की प्रोसेस में शामिल रहेंगे।
–सेशन कराने से लेकर वेस्ट मैनेजमेंट तक की ट्रेनिंग दी गई
हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, देश भर में चली ट्रेनिंग में सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें वैक्सीनेशन सेशन आयोजित करना, वैक्सीनेशन प्रोसेस का मैनेजमेंट करने के लिए तैयार को-विन आईटी प्लैटफार्म का इस्तेमाल, कोल्ड चेन की तैयारी, कम्युनिकेशन और को-आॅर्डिनेशन, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, इन्फेक्शन प्रिवेंशन प्रोटोकाल शामिल है।
सभी राज्यों और यूनियन टेरेटरी में कराई ट्रेनिंग
पूरी कवायद के लिए देश भर में 2,360 लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। अब तक सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ट्रेनिंग का काम पूरा हो चुका है। इसमें डिस्ट्रिक्ट लेवल पर सात हजार ट्रेनी शामिल हुए। 681 जिलों में 49,604 एम्पलाई गाइडलाइंस के मुताबिक, मेडिकल आॅफिसर की ट्रेनिंग ले चुके हैं। 17,831 ब्लॉक में से 1,399 में वैक्सीनेशन टीम की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। बाकी ब्लॉकों में भी यह कवायद चल रही है। वैक्सीनेशन और को-विन पोर्टल से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए नेशनल लेवल पर 1075 और राज्यों के लिए 104 हेल्पलाइन नंबर को मजबूत किया गया है। ये सभी तैयारियां होने के बाद ट्रायल के तौर पर आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में वैक्सीनेशन किया जाएगा।
–लास्ट पॉइंट तक की तैयारियां परखी जाएंगी
चारों राज्यों के दो-दो जिलों में यह ट्रायल किया जाएगा। इसमें पांच सेशन होंगे। इनमें डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर / प्राइमरी हेल्थ सेंटर, प्राइवेट हॉस्पिटल के अलावा शहरी और ग्रामीण इलाकों को शामिल किया जाएगा। ट्रायल के दौरान वैक्सीनेशन प्रोसेस (वैक्सीन लगाने के अलावा) को लास्ट पॉइंट तक परखा जाएगा। साथ ही को-विन प्लेटफार्म किस तरह काम करता है, प्लानिंग और रिपोर्टिंग मैकेनिज्म के बीच तालमेल और चुनौतियों की मॉनिटरिंग की जाएगी। इससे हर लेबल पर प्रोग्राम मैनेजरों को जमीनी अनुभव मिलेगा। दो दिन का यह ट्रायल 28 और 29 दिसंबर को होगा। इसमें वैक्सीनेशन की सभी एक्टिविटी जैसे को-विन में डेटा की एंट्री से लेकर टीम मेंबर्स की तैनाती तक की जानकारी शामिल होगी। इस दौरान वैक्सीन के लिए कोल्ड स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के इंतजाम, भीड़ के मैनेजमेंट के साथ सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सभी एक्टिविटीज की मॉक ड्रिल की जाएगी।
–सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन लगेगी
हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, इस अभियान की चेकलिस्ट तैयार कर ली गई है। इसे चारों राज्यों के साथ शेयर किया गया है, ताकि सटीक तरीके से ट्रायल किया जा सके। वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के लिए बनाए गए नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ने वैक्सीनेशन के लिहाज से प्रायरिटी वाले तीन ग्रुप की सिफारिश की है। इनमें एक करोड़ हेल्थ वर्कर, दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर और 27 करोड़ ज्यादा एज ग्रुप के लोग शामिल हैं। वैक्सीन को सही तापमान पर रखना जरूरी है। इसलिए इसके स्टोरेज के लिए देश भर में लगभग 28,947 कोल्ड चेन पॉइंट का इस्तेमाल किया जाएगा। प्रायरिटी के हिसाब से तीन करोड़ लोगों को वैक्सीन सबसे पहले लगनी है। देश में मौजूद कोल्ड चेन में इतनी वैक्सीन का स्टोरेज किया जा सकता है।