देश में अब 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार कराई जाएंगीं। दोनों परीक्षा में जिसमें स्टूडेंट के ज्यादा मार्क होंगे, उसे गिना जाएगा। इसके अलावा विद्यार्थियों को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय होनी जरूरी है। हालांकि, विद्धार्थियों को विषय चुनने की छूट होगी। उन पर चुने गए विषय के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इस संबंध में केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत एकेडमिक सेशन 2024-25 के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है।
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एकेडमिक सेशन 2024 के लिए किताबों में भी बदलाव किया जा रहा है। किताबों में भारी-भरकम सिलेबस भी नहीं रखा जाएगा और इसकी कीमतें भी कम की जाएंगी। नया सिलेबस न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। इसमें स्कूल बोर्ड कोर्स पूरा होने पर ऑन डिमांड एग्जाम कराने की मांग कर सकेंगे। इन बदलावों का उद्देश्य विद्यार्थियों को महीनों तक बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने के मुकाबले उनकी समझ और उपलब्धि का आकलन करना है।
नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को इसे मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली थी। इसमें शिक्षा नीति में समानता, गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च करने का लक्ष्य रखा है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी आने से पहले 34 साल पहले यानी 1986 में शिक्षा नीति बनाई गई थी। 2020 के पहले तक उसमें ही बदलाव किए जा रहे थे।