रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास रीवां गांव में धरती के भीतर से अब तक की सबसे पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। यहां पर टेराकोटा के रिंग से बना एक कुंआ मिला है। इसका उपयोग भूमिगत जल को रिचार्ज करने में किया जाता था। अनुमान है कि यह कुंआ ईसा से 500-600 साल यानी आज से 2500 साल से भी अधिक पुराना हो सकता है। पुरातत्व विभाग की ओर से खुदाई की देखरेख में लगे पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के शोधार्थी अमर भारद्वाज ने बताया, प्राचीन काल में इस तरह के रिंग वेल बनाए जाते थे। इसका मुख्य काम पानी को बर्बाद होने से बचाना था। अतिरिक्त पानी इस वेल के जरिए जमीन में भेज दिया जाता था। इससे एक-एक बूंद पानी संरक्षित होता था और भूमिगत जल का स्तर भी मेंटेन रहता था। यहां अभी एक ही कुंआ मिला है। खुदाई आगे बढ़ेगी तो संभव है कि और भी कुएं मिले। रीवां में मिले इस प्राचीन कुएं को टेराकोटा से बने 11 रिंग की मदद से बनाया गया है। संभावना है कि इसके ऊपर और भी रिंग रहे हों जो अब क्षतिग्रस्त हो गए। रीवां में मिले इस प्राचीन कुएं को टेराकोटा से बने 11 रिंग की मदद से बनाया गया है। संभावना है कि इसके ऊपर और भी रिंग रहे हों जो अब क्षतिग्रस्त हो गए। अमर भारद्वाज ने बताया, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ पुरातात्विक साइट पर एक लाइन में दो से अधिक रिंग वेल भी मिले हैं। रीवां और आसपास के इलाके में आज भी पानी की समस्या है। यहां भूमिगत जल काफी नीचे है। हो सकता है कि प्राचीन काल में भी लोग इस समस्या से जूझ रहे हों। इसलिए उन्होंने ग्राउंड वॉटर रिचार्ज करने के लिए इस तरह की संरचनाएं बनाकर पानी सहेजा।