सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में कोयला खनन परियोजना पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। उसने कहा है कि वह विकास के रास्ते में नहीं आएगा। खनन गतिविधियों के प्रभाव को लेकर इस क्षेत्र का आदिवासी समुदाय इस परियोजना का लंबे समय से विरोध कर रहा है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कोई अंतरिम राहत देने से इन्कार करते हुए कहा कि कि हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में परसा कोयला ब्लाक के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं को कोयला खनन गतिविधियों के खिलाफ किसी भी तरह के प्रतिबंध के रूप में नहीं माना जाएगा। हम विकास के रास्ते में नहीं आना चाहते। हम कानून के तहत आपके अधिकारों का निर्धारण करेंगे, लेकिन विकास की कीमत पर नहीं।
पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा कि अंतरिम राहत से इन्कार किया जाता है। हम स्पष्ट करते हैं कि इन अपीलों का लंबित रखा जाना परियोजना्रओं के रास्ते में बाधक नहीं बनेगा। यदि इस न्यायालय को अपीलकर्ताओं की ओर से दी गई दलीलों में दम नजर आता है, तो प्रतिवादियों को क्षतिपूर्ति के लिए कभी भी निर्देश दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत परसा कोयला ब्लाक के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली स्थानीय निवासियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।