एलएसी पर भारत और चीन में जारी तनाव के बीच एक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें बताया गया है कि चीन सिर्फ भारत की जमीन ही नहीं, उसके सैटेलाइट्स को भी निशाना बनाना चाहता है। साल 2017 में भारतीय सेटेलाइट कम्यूनिकेशन पर कम्यूटर नेटवर्क का हमला चीन की कांउटर स्पेस गतिविधियों में शामिल है।
यूएस-आधारित चाइना एयरोस्पेस स्टडीज़ इंस्टीट्यूट (CASI) की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। यह संस्था चीन की अंतरिक्ष से संबंधित कोशिशों के संबंध में रिपोर्ट साझा करता है। वहीं इसरो ने स्वीकार किया था कि साइबर हमलों का खतरा बना हुआ है, और हमारी कोशिश है कि इससे अपने सिस्टम को बचाया जाए।
चाइना एयरोस्पेस स्टडीज़ इंस्टीट्यूट (CASI) की 142 पन्नों की रिपोर्ट कहती है कि 2012 से 2018 के बीच चीन ने कई साइबर हमले किए। 2012 में जेट प्रपल्शन लैबारेटरी (JPL) पर चीनी नेटवर्क बेस्ड कम्प्यूटर हमले को लेकर रिपोर्ट ोकहती है कि इससे हैकर्स को जेपीएल नेटवर्क्स पर पूरा कंट्रोल हासिल हो गया था। रिपोर्ट ने हमलों के जिक्र में कई स्रोतों का जिक्र किया है।
भारत ने अंतरिक्ष में किसी दुश्मन से निपटने के लिए जरूरी ऐंटी-सैटेलाइट मिसाइल तकनीक पिछले साल हासिल कर ली थी। अब दुश्मन देश के सैटेलाइट्स को नष्ट करने की क्षमता भारत के पास है। लेकिन CASI की रिपोर्ट बताती है कि चीन के पास बहुत सारी काउंटर-स्पेस तकनीकें हैं जो दुश्मन के स्पेस सिस्टम्स को जमीन से लेकर जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट (GEO) तक निशाना बना सकती हैं। इनमें डायरेक्ट एसेंट काइनेटिक किल वेहिकल्स (ऐंटी-सैटेलाइट मिसाइल), को-ऑर्बिटल सैटेलाइट्स, डायरेक्टेड एनर्जी वेपंस, जैमर्स और साइबर क्षमताएं शामिल हैं।
वहीं CASI एक थिंक टैंक है जो अमेरिका के गृह मंत्री, एयरफोर्स चीफ, स्पेश ऑपरेशंस चीफ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को एक्सपर्ट रिसर्च और एनालिसिस मुहैया कराता है। CASI ने पेंटागन की एक ताजा रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। जिसमें कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ऐसी तकनीकें डेवलप कर रही है जिसका इस्तेमाल चीन दुश्मन को ‘अंधा और बहरा’ करने में कर सकता है।
साल 2019 में कार्नीजी एंडोवमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि भारत ने ऐंटी-सैटैलाइट इंटरसेप्टर्स का प्रदर्शन तो किया है लेकिन चीन के पास ग्राउंड स्टेशंस ने घातक साइबर हमले करने की क्षमता है। यानी सिस्टम को करप्ट या हाइजैक कर चीन अपने दुश्मन के स्पेसक्राफ्ट/सैटेलाइट को कंट्रोल कर सकता है। रिपोर्ट कहती है, “चीन ने ग्रांउड, एयर और स्पेस बेस्ड रेडिया फ्रीक्वेंसी जैमर्स डेवलप करने में निवेश किया है जो अपलिंक्स, डाउनलिंक्स और क्रॉसलिंक्स को टारगेट करते हैं।”
इस संबंध में ISRO के एक सीनियर साइंटिस्ट ने कहा, “साइबर खतरे तो रहते ही हैं लेकिन यह तय नहीं किया जा सकता कि इन हमलों के पीछे कौन हैं। हमारे पास ऐसे सिस्टम हैं जो अलर्ट कर देते हैं और मुझे नहीं लगता कि हम पर कोई हमला सफल हुआ है। चीनियों ने कोशिश की होगी मगर फेल हो गए।” ISRO के चेयरमैन के सिवन ने भारतीय ग्राउंड स्टेशंस पर ऐसे किसी हमले की जानकारी से इनकार किया। उन्होंने कहा कि “खतरा सिर्फ भारत को नहीं है। हम सुरक्षित हैं।” उन्होंने कहा कि भारत का अपना स्वतंत्र और आइसोलेटेड नेटवर्क है जो पब्लिक डोमेन में नहीं है।