जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद कहा कि जिस देश का मूल ही संस्कृत है उस देश में संस्कृत की उपेक्षा हो रही है, इसलिए भारत इंडिया बन गया। अब न्यू इंडिया बनने की ओर है। आज भारत से भारतीयता खो गई है। अब भारतीयता को बचाकर रखना है तो भारत को संस्कृत भाषा का फिर से अध्ययन अध्यापन शुरू करना होगा। वह अपने अल्प प्रवास में मध्य प्रदेश के रीवा में पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि भारत एक शब्द है। देश का एक नाम है संस्कृत भाषा में है “भा” का मतलब क्या होता है और “रत” का मतलब क्या होता है। जब तक संस्कृत भाषा कोई नहीं पढ़ेगा तब तक नही जान सकता है। कौन सी संधि है कौन सा समास है। किस तरह से कैसे इसकी उत्पत्ति हुई है तो जिस देश में मूल ही संस्कृत हो उस देश में संस्कृत की उपेक्षा हो रही है, इसलिए भारत इंडिया बन गया अब न्यू इंडिया बनने की ओर है।
राजनीति में धर्म का प्रवेश होने के सवाल पर जगतगुरु अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी ने कहा की राजनीती का एक अपना अलग क्षेत्र है और धर्म का अपना अलग क्षेत्र है। दोनों ही क्षेत्र के लोग एक दूसरे का सहयोग करे यह बात तो समझ में आती है, लेकिन एक दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण और अधिग्रहण करे और एक दूसरे के क्षेत्र को अपना लें यह उचित नहीं है। दोनों क्षेत्रों की अपनी अपनी पवित्रता को बनाएं रखना चाहिए। जो राजनीतिज्ञ हैं वह देश की सत्ता को अपने हाथों में लें और सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ जो भी देशवाशियों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करें। वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास करें। जनकल्याण के उपाय करें यह सब उनके कार्य हैं। उनहोंने कहा कि हम राजनेताओं का मार्गदर्शन तो अभी भी करते हैं, लेकिन अब समस्या यह हो गई है कि जो राजनीतिक पहले धर्माचार्यों के पास मार्गदर्शन लेने आते थे। अब अपना ठप्पा लगाने के लिए या फोटो खिंचवाकर उसका लाभ लेने के लिए आते हैं।