तीन राज्यों मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की बंपर जीत से स्तिथि बदल गयी है। बिहार के सहयोगी दलों लोक जनशक्ति पार्टी(चिराग़),राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(उपेन्द्र कुशवाहा)और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(जीतन राम मांझी)भाजपा से मोलभाव करने की स्तिथि में नहीं रह गए है। इनमें से किसी को दो तो किसी को एक सीट देने की बात कही जा रही है। सबकी हालत पतली है। इनमें से एक दल छह सीट से के दावे से दो या तीन सीट पर फिसल गये हैं। उससे अधिक की बात बनती नहीं दिख रही।
एक नेता भाजपा के चाणक्य को लगातार कॉल कर रहे मगर फोन नहीं उठाया जा रहा है। एक तरफ जहां इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे का ख़ाका तैयार हो रहा है। बैठकें हो रही हैं। बातचीत आगे बढ़ी है, वहीं एनडीए में सीट शियरिंग पर कोई चर्चा नहीं हो रही। भाजपा गठबंधन में शामिल एक दल के नेता का कहना है कि तीन राज्यों की जीत ने समीकरण बिगाड़ दिया। भाजपा हारती तो दबाव में रहती अब सहयोगी दल दबाव में हैं और भाजपा के रहमो करम पर हैं। एक बड़े सहयोगी दल का दिल डोल रहा है, अगर बात नहीं बनी तो इधर से उधर भी हुआ जा सकता है। तीसरे मोर्चे पर भी गौर किया जा रहा है,जिसमें प्रशांत किशोर,हिना शहाब,एआईएमआईएम,पप्पू यादव, एनडीए और इंडिया से नाराज़ घटक दल को एक मंच पर आने की सम्भावना तलाशी जा रही है।