नई दिल्ली। कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसान संगठनों के बीच 7वें दौर की बातचीत में उम्मीद जगी है कि मामला सुलझ सकता है। हांलाकि कृषि कानून और एमएसपी पर मामला अटका हुआ है और किसानो की चार प्रमुख मांगो में यह शामिल है। सरकार ने अन्य दो मांगो को मान लिया है। ये बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई, जिसमें 40 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया. इस बार की बातचीत में चार प्रस्ताव मेंं से दो पर रजामंदी हो गई है. एमएसपी और कानून वापसी पर चार जनवरी को फिर बातचीत होगी. वहीं, किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे। कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बैठक हुई। पांच घंटे तक चली मीटिंग में सरकार थोड़ी झुकी, तो किसान भी थोड़े नरम पड़े। सरकार ने किसानों की 4 में से 2 मांगें मान लीं। बाकी दो मांगों पर बातचीत के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की गई है। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “आज की बैठक अच्छे वातावरण में हुई। किसान नेताओं ने 4 मुद्दे चर्चा के लिए रखे थे, उनमें 2 विषयों पर आपसी रजामंदी सरकार और यूनियन के बीच बन गई है।” इधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “दो मसलों पर सहमति बनी है। अब बाकी दो मुद्दे अगली बैठक में देखे जाएंगे। जब तक पूरा समाधान नहीं हो जाता, हमारा धरना चलता रहेगा।
एमएसपी को कानूनी दर्जे पर फिलहाल सहमति नहीं
तोमर ने कहा- किसान यूनियन ने तीन कानूनों को वापस लेने की बात कही। हमने अपने तर्कों से उन्हें यह बताने की कोशिश की है कि किसान की कठिनाई कहां है? जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है। एमएसपी के विषय में भी सरकार पहले भी कहती रही है कि यह पहले से है और जारी रहेगी। उन्हें ऐसा लगता है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। कानून और एमएसपी पर चर्चा जारी है। हम 4 तारीख को 2 बजे फिर इकट्ठा होंगे और इन विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाएंगे।
अगली बैठक 4 जनवरी को
अब 4 जनवरी को केंद्र और किसानों के बीच बातचीत होगी। हालांकि, बुधवार को लंच के दौरान तब बात बनने के आसार दिखे थे, जब किसानों के साथ मंत्रियों ने खाना खाया था। किसान दाल-रोटी तो अपनी ही लाए थे, पर इस बार लंच में उनके साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए थे।
पराली और इलेक्ट्रिसिटी पर केंद्र और किसानों में रजामंदी
तोमर ने कहा- किसानों की मांग में पहली एन्वायरनमेंट से संबंधित आॅर्डिनेंस में किसान और पराली से संबंधित थीं। उनका कहना था कि किसान को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए। सरकार और किसानों के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन गई है। दूसरा- इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, जो अभी आया नहीं है। उन्हें लगता है कि किसानों को इससे नुकसान होगा। किसानों को सिंचाई के लिए जो सब्सिडी दी जाती है, उसे जारी रहना चाहिए। इस मांग पर भी दोनों के बीच रजामंदी बन गई है।