
रायपुर के सिविल लाइन स्थित वृंदावन हॉल में 17 नवंबर 2024 को सुबह 11 बजे से 2 बजे के बीच आचार्य प्रणवात्मकानंद की प्रसिद्ध किताब “Shri shri Anandmurti Advent of a mystery” के हिंदी अनुवाद का लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ।

मुख्य वक्ता आचार्य प्रणवात्मकानंद ने अपने संबोधन में कहा कि आध्यात्मिक व्यक्तियों की जीवनी लिखना विराट की इच्छा और प्रेरणा से ही संभव हो पाता है। उन्होंने गुरु और शिष्य के संबंध को भक्ति रूपी ब्रह्म और जीव के संबंध के रूप में देखने की बात कही। श्री श्री आनंदमूर्ति ने अपने प्रत्येक सिद्धांत की व्याख्या के साथ शारीरिक प्रदर्शन किया और उनकी सर्वज्ञता का अनुभव उनके शिष्यों ने किया है।
अतिथि वक्ता आचार्य वंदनानंद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि अध्यात्म के मार्ग पर गुरु के प्रति समर्पण सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि श्री श्री आनंदमूर्ति ने आश्वासन दिया है कि वे सदैव अपने अनुयायियों के साथ रहकर उन्हें आशीर्वाद देते रहेंगे।
कृषि विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा ने कहा कि सामाजिक और सेवा कार्यों में आने वाली चुनौतियों को श्री श्री आनंदमूर्ति के दर्शन ने पूरा किया है। उनके अस्तित्वगत वैचारिक दर्शन ने समाज परिवर्तन के लिए एक आध्यात्मिक आधार प्रदान किया है।
किताब के अनुवादक आचार्य अनिमेषानंद ने कहा कि हिंसा, शोषण और भ्रष्ट व्यवस्था को बदलना अत्यंत आवश्यक है। श्री श्री आनंदमूर्ति ने अध्यात्म के साथ-साथ व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक दर्शन प्रस्तुत किया है, जो भविष्य में न्यायपूर्ण समाज के निर्माण की दिशा प्रदान करेगा।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण आचार्य अर्पितानंद ने दिया। मंच संचालन डॉ. सत्यजीत साहू ने किया और धन्यवाद ज्ञापन रायपुर भुक्ति कमेटी के शेखर चंद्राकर ने किया। इस अवसर पर आचार्या आनंद गीता, आचार्या सुचिलेखा, आचार्या नितिसुधा, आचार्य दयाशेखरानंद, आचार्य महादेवानंद, आचार्य चितशिवानंद, उदयभान सिंह चौहान, मालती परगनिहा, राखी वर्मा, प्रियंका कौशल, विशाल यादव, सुरज दुबे, सुषमा पटनायक, डॉ. संगीता कौशिक, जिज्ञासा साहू, जी.पी. चंद्राकर, के.पी. सिंह, वरिष्ठ गृही आचार्य रामलाल दानी और अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
हिंदी अनुवादित किताब “श्री श्री आनंदमूर्ति एक आलौकिक सत्ता” को आचार्य अनिमेषानंद ने अनुवादित किया है। यह किताब विश्व की अठारह भाषाओं में अनुवादित होने जा रही है, जिसमें अंग्रेजी, फ्रेंच, इटालियन, बंगला और स्पेनिश संस्करण शामिल हैं। यह किताब आनंद मार्ग के संस्थापक प्रभात रंजन सरकार के जीवन पर आधारित है, जिन्हें आध्यात्मिक जगत में श्री श्री आनंदमूर्ति के नाम से जाना जाता है।
किताब की प्रस्तावना फ्यूचर साइंटिस्ट सोहेल इनायतुल्ला, प्रोफेसर मेलबर्न यूनिवर्सिटी और ताइवान यूनिवर्सिटी ने लिखी है। उन्होंने बताया कि इस किताब को कई दृष्टिकोणों से पढ़ा जा सकता है – भक्ति का, प्रेरणा का, शिक्षाप्रद घटनाओं का, जीवनी के रूप में या भविष्य निर्माण की रूपरेखा के रूप में।
बैक कवर पर विश्व प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक यूरी गेलर ने लिखा है कि यह किताब अध्यात्म के गंभीर विद्यार्थियों के लिए एक आधिकारिक मार्गदर्शिका है।
इस लोकार्पण समारोह में लेखक आचार्य प्रणवात्मकानंद, अनुवादक आचार्य अनिमेषानंद, आचार्य वंदनानंद और प्रदीप शर्मा अतिथि वक्ता रहे। आयोजन समिति में आचार्य अर्पितानंद, शेखर चंद्राकर, मालती परगनिहा और संयोजक सुबोध देव शामिल थे।