
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि ‘एक महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने दूसरे पति से भरण-पोषण पाने की हकदार होगी, भले ही उसका पिछला विवाह कानूनी रूप से कायम हो’। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि भरण-पोषण जैसे सामाजिक कल्याण प्रावधानों की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिए ताकि इनका मानवीय उद्देश्य विफल न होने पाए।
क्या है पूरा मामला
सर्वोच्च न्यायालय ने एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता महिला साल 2005 में अपने पहले पति से अलग हो गई थी। दोनों ने आधिकारिक तौर पर तलाक नहीं लिया और एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर अपना रिश्ता खत्म कर लिया। इसके बाद महिला ने साल 2005 में ही पड़ोस में रहने वाले एक अन्य युवक से शादी कर ली। हालांकि दोनों के बीच कुछ दिनों बाद ही मतभेद हो गए और दोनों ने शादी रद्द करने की मांग की, जिसे फरवरी 2006 में एक पारिवारिक अदालत ने मंजूरी दे दी। हालांकि कुछ समय बाद दोनों के बीच फिर सुलह हो गई और दोनों ने फिर से शादी कर ली। दोनों की शादी हैदराबाद में पंजीकृत में हुई।