
लद्दाख के लेह में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद गुरुवार को भी कर्फ्यू जारी है। फिलहाल, लेह शहर में स्थिति काबू में है। डीएम की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने उपद्रवियों को गंभीर कार्रवाई की चेतावनी दी और लद्दाख के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने लद्दाख के लोगों को शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाला बताया।
इसी बीच हिंसा के बाद गुरुवार को चार दिवसीय वार्षिक लद्दाख महोत्सव रद्द कर दिया गया। यह इस महोत्सव का आखिरी दिन था, जिसमें उपराज्यपाल (एलजी) कविंदर गुप्ता शामिल होने वाले थे। एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प में 4 प्रदर्शनकारी मारे गए और 40 घायल हो गए थे। इस दौरान उग्र भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी, स्थानीय भाजपा कार्यालय को जला दिया और हिल काउंसिल के कार्यालय को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचाया।
कांग्रेस नेता और पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग पर धरना प्रदर्शन स्थल पर कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया गया है। गृह मंत्रालय ने बुधवार की हिंसा भड़काने के लिए सोनम वांगचुक समेत भूख हड़ताल कर रहे लोगों को जिम्मेदार ठहराया है। उग्र भीड़ ने भाजपा कार्यालय, लेह हिल काउंसिल कार्यालय और सीआरपीएफ की जिप्सी में आग लगा दी। साथ ही पथराव में कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। इसके बाद पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने गोलीबारी, आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया ताकि सरकारी संपत्ति और सुरक्षाकर्मियों व अन्य लोगों को और नुकसान न हो।
लेह की घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पर आरोप लगा रही है। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सासपोल के कांग्रेस पार्षद स्मानला दोरजे नोरबू ने खुलेआम प्रशासन को चुनौती दी। उन्होंने अधिक सीआरपीएफ कर्मियों को तैनात करने की चुनौती दी। साथ ही कहा कि बड़ी सुरक्षा मौजूदगी भी प्रदर्शनकारियों को भाजपा लद्दाख कार्यालय तक पहुंचने और लोगों को बाहर खींचने से नहीं रोक सकती।”
पोस्ट में अमित मालवीय ने लिखा, “उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से भाजपा लद्दाख कार्यालय पर पथराव करने आएंगे और लद्दाख भर से लोगों को 24 सितंबर को लेह पहुंचकर हमला करने के लिए प्रेरित किया। 24 सितंबर को, एक भीड़ ने बाद में भाजपा लद्दाख कार्यालय में आग लगा दी।”
लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के यूथ विंग का उपवास केंद्र सरकार से 6 अक्टूबर को प्रस्तावित बैठक के बजाय जल्दी वार्ता शुरू करने की मांग को लेकर था। राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची का विस्तार, लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें और रोजगार में आरक्षण, यह उनकी मांगें थीं। लेह का एलएबी और कारगिल का केडीए पिछले 4 साल से अपनी मांगों के समर्थन में संयुक्त रूप से आंदोलन कर रहे हैं और गृह मंत्रालय के साथ कई दौर की वार्ता कर चुके हैं। हालांकि, मंगलवार शाम से ही तनाव बढ़ रहा था।