बिलासपुर। हाईकोर्ट के आदेश के जरिए अब जल्द ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राहत मिलने की संभावना है। कुछ दिनों पहले राज्य शासन ने सभी जिलों के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने मोबाइल में पोषण ट्रैकर एप डाउनलोड करने का निर्देश दिया है। इसे उनके मानदेय से भी लिंक करना अनिवार्य किया गया है। ऐप डाउनलोड कर डाटा नहीं भेजने पर उनका मानदेय रोकने का आदेश जारी किया गया है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने इस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने 2 माह के भीतर मामले के निराकरण का आदेश दिया है। छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका संघ ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि राज्य शासन ने सभी जिलों के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने मोबाइल में पोषण ट्रैकर एप डाउनलोड करने का निर्देश दिया है। इसे उनके मानदेय से भी लिंक करना अनिवार्य किया गया है। ऐप डाउनलोड कर डाटा नहीं भेजने पर उनका मानदेय रोकने का आदेश जारी किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का मानदेय बहुत कम है। उनके लिए नया मोबाइल फोन खरीदना और रिचार्ज कराना संभव नहीं है। यह आदेश अव्यावहारिक वह महिला विरोधी है। इसके अलावा सरगुजा और बस्तर के कई वन अंचल ऐसे हैं जहां नेटवर्क की समस्या रहती है। इस संबंध में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका संघ ने अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के अवकाशकालीन न्यायाधीश गौतम भादुड़ी ने महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिया है कि 2 माह के भीतर उनकी समस्या पर विचार कर निराकरण करें।