रायपुर। कोरोना संक्रमण के कारण इस साल रथ यात्रा नहीं निकली। राजधानी के जगन्नाथ मंदिर में मंदिर परिसर में ही सभी विधियों को पूरा किया गया। भक्तों के लिए कई तरह के नियम थे, जिसके पालन के साथ सीमित लोग पूजा में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार को रथ दूज के अवसर पर अपने निवास कार्यालय में महाप्रभु जगन्नाथ, माता सुभद्रा एवं भगवान बलभद्र जी का मंत्रोच्चार एवं शंख ध्वनि के साथ विधिवत पूजा अर्चना कर महाप्रभु जगन्नाथ से प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और निरोगी जीवन की कामना करते हुए सभी को रथ-यात्रा पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर से वर्चुअल रूप से जुड़ते हुए महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन किए और रथ यात्रा महोत्सव में शामिल हुए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भगवान जगन्नाथ ओडिशा और छत्तीसगढ़ की संस्कृति से समान रूप से जुड़े हुए हैं। रथ-दूज का यह त्यौहार ओडिशा की तरह छत्तीसगढ़ की संस्कृति का भी अभिन्न हिस्सा है। छत्तीसगढ़ के शहरों में आज के दिन भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ से जुड़ा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र देवभोग भी है। भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण से पुरी जाकर स्थापित हो गए, तब भी उनके भोग के लिए चावल देवभोग से ही भेजा जाता रहा। देवभोग के नाम में ही भगवान जगन्नाथ की महिमा समाई हुई है।