मोबाइल एप आधारित कंपनियों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को आनलाइन कर्ज देकर लोगों से भारी ब्याज वसूलने वाले के मामले में जल्द सख्त कदम उठाने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आरबीआइ के साथ मिलकर ब्याज दर निर्धारित करने और 27 अगस्त को अगली सुनवाई के दिन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने यह भी कहा कि अगर सरकार और आरबीआइ इस मसले से निपटने में देर करते हैं तो अदालत विशेषज्ञों की समिति के माध्यम से इससे निपटेगी। सुनवाई के दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा और स्थायी अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि इस मामले पर जल्द विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसे रिपोर्ट देनी है। उन्होंने इस रिपोर्ट को पेश करने के लिए समय देने की मांग की। वहीं, आरबीआइ ने कहा कि वह इस तरह के प्लेटफार्म को रेगुलेट नहीं करता है और इसका अधिकार केंद्र के पास है।
याचिकाकर्ता तेलंगाना निवासी धरणीधर कनीमोरी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि आरबीआइ के पास इस तरह के कर्ज देने वाले एप पर शिकंजा कसने के अधिकार हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि जिस कमेटी की रिपोर्ट की बात आरबीआइ ने की है, उसे अप्रैल में रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन अब तक रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के करीब तीन सौ प्लेटफार्म व एप हैं, जो लोगों को 1,500 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक का कर्ज देते हैं।