हरिहर वैष्णव का संपूर्ण लेखन बस्तर पर केंद्रित रहा। अब तक कुल 28 पुस्तकें प्रकाशित हुई। एक पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद भी हुआ। हिंदी के साथ-साथ बस्तर की बोलियो हल्बी भारी और छत्तीसगढ़ी में भी समान लेखन प्रकाशन अनेक पुरस्कार प्राप्त उल्लेखनीय सम्मान में छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद का उमेश शर्मा साहित्य सम्मान 2009 दुष्यंत कुमार स्मारक संग्रहालय का आंचलिक साहित्यकार सम्मान 2009 छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण पंडित सुंदरलाल शर्मा का आंचलिक साहित्यकार सम्मान 2015 वेरियर एलि्वन प्रतिष्ठा अलंकरण 2015 साहित्य अकादमी भाषा सम्मान 2015 सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत 1991 में ऑस्ट्रेलिया 2000 मी स्विजरलैंड और 2002 में इटली प्रवास बस्तर की भाषा हल्बी में पांच एनिमेशन फिल्मों का स्कॉटलैंड की संस्था वेस्ट हाइलैंड एनीमेशन कंपनी के साथ मिलकर निर्माण लेखन कर्म के साथ-साथ छाया कन रंगकर्म और बस्तर के लोक संगीत में भी पर्याप्त दखल दीखता है।
उन्होंने लक्ष्मी जगार धनकुल तीजा जगार अलिखित महाकाव्यों को लिपिबद्ध कर हल्बी हिंदी अंग्रेजी में प्रकाशन कराया। वहीं उड़ीसा की बाली जगार आठे जगार का लिपिकरण कर प्रकाशन कराया। साथ ही स्थानीय लोकोक्तियां मुहावरे हल्बी व्याकरण सहित साहित्य के अलावा अलावा लोक संगीत, नाटक ,गायन सहित कई एनिमेशन फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। वर्ष 1969 में कॉमिक्स का का प्रकाशन किया, जिसके लेखक हरिहर वैष्णव व चित्रांकन खेम वैष्णव ने किया था। लोक साहित्य के क्षेत्र में वर्ष 2015 में राज्य अलंकरण पुरस्कार से पंडित सुंदरलाल शर्मा के हाथों सम्मानित हुए।