देश में कोयले की आपूर्ति प्रभावित होने से कई राज्यों में बिजली संकट गहराया गया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और बिहार में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। हरियाणा, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में समस्या नहीं है। हालांकि राजस्थान में भी हालात बिगड़ गए थे, मगर वहां स्थिति सुधरने लगी है।
बिहार को अभी औसतन 5800 से 6000 मेगावाट बिजली की जरूरत है, मगर सोमवार 5200 मेगावाट की आपूर्ति हुई। राज्य के अर्धशहरी व ग्रामीण इलाकों में छह से आठ घंटे तक लोडशेडिंग करना पड़ा। वहीं मध्य प्रदेश के संजय गांधी ताप विद्युत संयंत्र बिरसिंहपुर पाली में 210 मेगावाट की एक और यूनिट बंद हो गई। पंजाब में अलग-अलग जिलों में दिन में दो से पांच घंटे तक बिजली सप्लाई बाधित रही। यहां के निजी थर्मल प्लांटों में केवल डेढ़ दिन के लिए कोयला बचा है। आम उपभोक्ताओं व औद्योगिक क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। उत्तराखंड में घोषित बिजली कटौती की कोई अवधि निर्धारित नहीं है।
छत्तीसगढ़ को रोजाना 6,210 टन कोयला कम मिल रहा है। इससे संयंत्रों में कोयला का स्टाक कम हो गया है। इसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ा है। नियमानुसार संयंत्रों में पांच दिन का कोयला होना चाहिए, लेकिन मड़वा को छोड़कर बाकी संयंत्रों में चार दिन से कम का कोयला बचा है। झारखंड में कोयले की कमी हुई और बिजली संकट बढ़ा तो इसे दूर करने को फिर झारखंड ने मोर्चा संभाल लिया है। कोल इंडिया की पहल पर झारखंड की कोल कंपनियां पावर प्लांटों को पूरी शिद्दत से कोयले की सप्लाई में जुट गई हैं। हिमाचल प्रदेश में इन दिनों बिजली की कटौती नहीं हो रही।