रायपुर,पूनम ऋतु सेन।हाल ही में ‘चंदखुरी’ चर्चा का विषय बना हुआ है, जो धीरे-धीरे पर्यटन की दृष्टि से उभरता हुआ स्थल है। ऐतिहासिक धार्मिक महत्व को संजोए हुए यह पावन धरा का छत्तीसगढ़ में होना राज्य के लिए गौरव की बात है। राज्य के रायपुर जिले में स्थित चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल माना जाता है बीते कुछ महीने पहले छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस स्थल का पुनरुद्धार किया गया जिसके बाद से यह स्थल पर्यटन के लिहाज से जिले के लिये महत्वपूर्ण बन गया है।
स्थिति
रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के अंतर्गत चंदखुरी नामक एक छोटा सा गांव राजधानी रायपुर से 27 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित है।
कैसे पहुँचे
यह स्थल पहुँचने के लिए एक मार्ग रायपुर-बलौदा बाजार मार्ग के द्वारा पँहुचा जा सकता है, वहीं दूसरा तरीका नेशनल हाइवे 53 में आरंग विकासखंड के बायीं दिशा में है।
रुकने की व्यवस्था
चंदखुरी पहुँचने के लिये रायपुर शहर से बस, टैक्सी व किराये से गाड़ी लिया जा सकता है। दूर स्थल से आने वाले पर्यटक रायपुर सिटी में कहीं भी होटल बुकिंग कर ठहर सकतें हैं।
स्थल की जानकारी
रायपुर का एक छोटा सा गाँव चंदखुरी, भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म स्थान है। यही वजह है कि इसे प्रभु श्री राम का ननिहाल भी कहा जाता है। माता कौशल्या मंदिर उन्हें समर्पित दुनिया का एकमात्र मंदिर है। हाल ही में पुनर्निमित, जलसेन तालाब के बीचों-बीच स्थित प्राचीन काल का यह मंदिर जीर्णोद्धार के बाद और भी खूबसूरत बन चुका है। शाम-रात के समय यहाँ लाइटिंग शुरू होने के बाद स्थल की खूबसूरती और भी निखर जाती है।
राम वन गमन परिपथ योजना
छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे, छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजना ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ’ का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन 7 अक्टूबर, 2021 को नवरात्रि के शुभ अवसर पर किया गया, जिसके लिए चंदखुरी में स्थित प्राचीन माता कौशल्या मंदिर में एक भव्य समारोह के साथ इस योजना की शुरुआत की गई।
यह नया पर्यटन परिपथ भगवान राम के अयोध्या से 14 साल के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ में बिताए गए समय पर आधारित है।
पौराणिकता
चंदखुरी, सैकड़ों साल पूर्व तक चन्द्रपुरी (देवताओं की नगरी) मानी जाती थी। कालान्तर में चन्द्रपुरी से चन्द्रखुरी हो गया। चन्द्रखुरी- चन्द्रपुरी का अपभ्रन्श है। जलसेन के संबंध में कहावत है कि यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा तालाब था। इसके चारों ओर छह कोरी अर्थात 126 तालाब होने की जनश्रुति मिलती है। किन्तु अभी इस क्षेत्र में 20-26 तालाब ही शेष हैं।
बाल्मीकी रामायण के अनुसार अयोध्यापति युवराज दशरथ के अभिषेक के अवसर पर कोसल नरेश भानुमंत को अयोध्या आमांत्रित किया गया था। “ततो कोशल राजा भानुतमं समुद्रधृतम’ अर्थात राजा दशरथ जब युवराज थे, उनके अभिषेक के समय कोसल राजा श्री भानुमन्त को भी अयोध्या में आमंत्रित किया गया था। और इसी अवसर पर युवराज द्वारा राजकुमारी भानुमति जो अपने पिता के साथ आयोध्या गयी थी उनकी सुन्दरता से मुग्ध होकर युवराज दशरथ ने भानुमंत की पुत्री से विवाह का प्रस्ताव रखा हो, तभी कालान्तर में युवराज दशरथ एवं कोसल की राजकन्या भानुमति का वैवाहिक संबंध हुआ और कोसल की राजकन्या भानुमति को विवाह उपरान्त कोसल की राजदूहिता होने के कारण कौशल्य कहा जाने लगा। रानी कौशल्या को कोख से प्रभु राम का जन्म का जन्म हुआ और यह कोसल प्रदेश जो बाद में दो भाग में विभक्त हुआ, उत्तर कोसल या अवध का क्षेत्र एवं दक्षिण कोसल छत्तीसगढ़ कहलाया। इस प्रकार माता कौशल्या का संबंध कोसल से होने के कारण इस पावन धरा में उनकी मधुर स्मृति में कौशल्या मंदिर का निर्माण किया गया जो माता कौशल्या के प्रति अगाध सम्मान एवं प्रेम का परिचायक है।
अन्य स्थल
चंदखुरी पहुँचने के पूर्व ही रायपुर- बलौदा बाजार मार्ग में साइंस सेंटर और अम्बुजा मॉल स्थित है, पर्यटक यहाँ कुछ समय व्यतीत कर सकतें हैं।
निवेदन:- जब भी आप किसी पर्यटन स्थल में जाए, तो सफाई का विशेष ध्यान रखें। जिसमे हमारे प्राकृतिक स्थल को हानि ना पहुंचे, और सैलानियों के लिए लगातार आकर्षण का केंद्र बने रहे।