लगातार नौ महीने तक बिकवाली के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय शेयर बाजारों में लौट आए हैं। जुलाई में एफपीआइ ने शेयर बाजारों में करीब 5,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। डालर इंडेक्स के नरम पड़ने और कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों के बाद एफपीआई एक बार फिर खरीदारी करने लगे हैं। इससे पहले जून में एफपीआई ने शेयरों से 50,145 करोड़ रुपये निकाले थे। यह मार्च, 2020 के बाद किसी एक माह में सबसे अधिक निकासी है। उस समय एफपीआइ ने भारतीय शेयर बाजारों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे।
यस सिक्यूरिटीज के हितेश्ा जैन का मानना है कि अगस्त में भी एफपीआइ का रुख सकारात्मक बना रहेगा। इसकी वजह यह है कि रुपये का सबसे खराब समय बीत चुका है और कच्चे तेल के दाम भी एक दायरे में कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बेहतर रहे हैं। मार्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘जुलाई में एफपीआइ के प्रवाह की वजह फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल का बयान है। पावेल ने कहा था कि अमेरिका अभी मंदी में नहीं है। पावेल के बयान के सेंटीमेंट में सुधार हुआ है और वैश्विक स्तर पर निवेश्ाक अब जोखिम उठाने को तैयार दिख रहे हैं।” हालांकि, जुलाई में एफपीआइ ने ऋण्ा या बांड बाजार से 2,056 करोड़ रुपये की निकासी की है।