कांकेर। नेशनल हाईवे क्रमांक 30 जो कांकेर शहर के बीच से गुजऱता है, अपने बड़े-बड़े जानलेवा गड्ढों के कारण बदनाम है। इन गड्ढों से न केवल कांकेर की जनता बल्कि कांकेर से होकर गुजऱने वाले वाहनों के चालक भी बहुत परेशान हैं। इनमें से कई वाहनों को प्रतिदिन कांकेर से होकर आना जाना पड़ता है और इस बात का पूरी तरह खय़ाल रखना पड़ता है कि कांकेर नज़दीक है, गड्ढों से सावधान,,, फिर भी अगर थोड़ी सी भी गफ़लत हुई ,तो चलाने वाले और बैठने वाले तो धक्के खाते ही हैं रास्ता चलने वाले राहगीरों पर भी एक्सीडेंट का डर मंडराता रहता है। इन भुक्तभोगी लोगों ने इस संबंध में कई चुटकुले भी प्रचलित कर दिए हैं, जिनमें प्रमुख यह है कि चंद्रमा का धरातल और कांकेर की मेन रोड में 99 प्रतिशत समानताएं हैं। अनेक लोगों का यह भी कहना है कि ऐसा मत बोलिए कि कांकेर के नेशनल हाईवे में गड्ढे हैं। दरअसल गड्ढों के बीच में कहीं-कहीं नेशनल हाईवे भी है। यह हालत वर्षों से चला आ रहा है, न तो राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग कुछ ध्यान देता है और ना प्रशासन । ये कम से कम इतना तो कर सकते हैं कि बड़े गड्ढों के आगे सावधान का बोर्ड ही लगा दें लेकिन शायद ऐसा सोचते होंगे कि ऐसा निर्णय लेने पर न जाने कितने दर्जन बोर्ड बनवाने पड़ जाएं? बरसात में लगभग प्रतिदिन इन गड्ढों की वजह से अक्सर दुपहिया वाहन और उनके चालक नेशनल हाईवे में चारों खाने चित्त नजऱ आते हैं । कुछ को तो अस्पताल भी पहुंचाना पड़ जाता है लेकिन फिर भी प्रशासन को तरस नहीं आता। तरस आया तो मात्र एक समाजसेवी संस्था जन सहयोग के अध्यक्ष अजय पप्पू मोटवानी को, जिन्होंने अपने साथियों सहित श्रमदान करते हुए दूध नदी के पुल से जिला जेल के सामने तक कुछ गड्ढों को सीमेंट कांक्रीट से सुधार दिया है लेकिन वहां से लेकर कांकेर की सीमा सिंगार भाट दंतेश्वरी पेट्रोल पंप तक अब भी बड़े-बड़े गड्ढे हैं। कम से कम प्रशासन को समाज सेवी संस्था से प्रेरणा लेकर कुछ तो करना चाहिए । लगता है प्रशासन इस फिराक में है कि बचा हुआ नेशनल हाईवे भी समाजसेवी संस्था ही ठीक कर दे तो प्रशासन का सिरदर्द दूर हो जाए और ऐसी 4 या 5 संस्थाएं भी काम करने लगें तो फिर फोकट में सारे कांकेर का ही कल्याण हो जाए और सारी प्रशंसा नेशनल हाईवे डिपार्टमेंट तथा स्थानीय प्रशासन को मिल जाए । यह भी हो सकता है कि इन विभागों को छोटे मोटे एक्सीडेंट्स की तो फिक्र ही नहीं, वह किसी बड़ी दुर्घटना का इंतज़ार कर रहे हों ?