
रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया जब रेलमंत्री ने देश की पहली स्वदेशी एल्युमीनियम रैक वाली मालगाड़ी को ओडिशा के भुवनेश्वर में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह मालगाड़ी हल्की होने के साथ ही 180 टन अधिक भार ढोने में सक्षम है। इसे बेस्को लिमिटेड वैगन डिवीजन और एल्युमीनियम कंपनी हिडाल्को के सहयोग से तैयार किया गया है। इसका कार्बन फुटप्रिट भी कम है। प्रत्येक एल्युमीनियम रैक सेवाकाल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा।
मंत्री ने कहा, यह देश और आत्मनिर्भर अभियान के लिए गर्व का क्षण है। ये हल्के एल्युमीनियम रैक रेलवे के लिए बड़ा नवाचार हैं। ऊर्जा की कम खपत करने के साथ ही जंग प्रतिरोधी हैं। इनका पूरी तरह से पुन: इस्तेमाल संभव है। 30 वर्षों के बाद भी वे नए जैसे दिखेंगे। ये रैक हमें हमारे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सक्षम करेंगे।
हिडाल्को ने कहा कि रेलवे आने वाले वर्षों में एक लाख से अधिक रैक को तैनात करने की योजना बना रहा है। इससे कार्बन उत्सर्जन में 25 लाख टन से अधिक की कमी आ सकती है। हिडाल्को हाई-स्पीड पैसेंजर ट्रेनों के लिए एल्युमीनियम कोच का भी निर्माण करने की योजना बना रही है। इन वैगनों के निर्माण के लिए लाक बोल्ट निर्माण पद्धति का उपयोग किया गया था, जिसमें कोई वेल्डिग नहीं की गई है। यह रैक सामान्य रैक की तुलना में 10 साल अधिक उपयोग किया जा सकेगा। उपयोग के बाद इसका पुनर्विक्रय मूल्य 80 प्रतिशत अधिक होगा।