
मिट्टी व पानी में मौजूद बैक्टीरिया का एक बड़ा समूह वैसे तो अधिकांश लोगों के लिए नुकसानदेह नहीं होता, लेकिन एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि ये जीवाणु उन लोगों की मौत के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जिनकी किडनी खराब हो चुकी है। अपनी तरह के पहले अध्ययन में मेडिकल कालेज आफ जार्जिया व चार्ली नारवुड वीए मेडिकल सेंटर अगस्ता के शोधकर्ताओं ने अमेरिका के रेनल डाटा सिस्टम में दर्ज एंड-स्टेज रेनल डिजीज (ईएसआरडी) के मरीजों से जुड़ी सूचनाओं की मदद ली।
इन मरीजों में नानट्यूबरकुलोसिस माइकोबैक्टीरिया (एनटीएम) की मौजूदगी पाई गई थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि एनटीएम वाले मरीजों की मृत्युदर अधिक थी। जर्नल आफ इन्वेस्टिगेटिव मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि एनटीएम संक्रमण का यदि शुरुआत में ही पता चल जाए, तो ईएसआरडी मरीजों के बचने की संभावना बढ़ सकती है।
चार्ली नारवुड वीए में संक्रमण नियंत्रण और महामारी विज्ञान के प्रमुख स्टेफनी एल बेयर ने कहा, “सतर्क रहना चाहिए कि कुछ किडनी रोगियों में एनटीएम का खतरा अधिक होता है। एनटीएम से उनकी मौत का खतरा बढ़ जाता है। ये मौकापरस्त रोगजनक डायलिसिस मशीन में भी मौजूद हो सकते हैं, जो मरीज के फेफड़ों व प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर पड़ने पर गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं।”