छठ पर्व के अंतिम दिन सोमार सुबह ब्रम्ह मुहूर्त पर श्रद्धालुओं पुनः पूजा करके उदय होते ही सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करके महिलाओं ने निर्जला व्रत का पारणा किया। सोमवार को सुबह अर्घ्य देने महिलाओं में आस्था छलक उठी। छठी माता की पूजा करके पति की लंबी आयु और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। परिवार जनों ने पटाखे, आतिशबाजी करके खुशियां मनाई।
रायपुर के महादेव घाट पर रविवार की शाम से ही भजन कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया। रातभर जागरण किया गया। ब्रम्ह मुहूर्त में पूजा का सिलसिला प्रारम्भ हुआ।
सोमवार को जैसे ही सूर्य उदय हुआ वैसे ही हजारों महिलाओं ने जल-फल से अर्घ्य देने की परंपरा निभाई। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं घर पहुंची और छठी माता को लगाए गए भोग का प्रसाद ग्रहण कर निर्जला व्रत का पारणा किया। इसी के साथ चार दिनों से मनाए जा रहे छठ पर्व का समापन हुआ।
28 से 31 तक मनाया गया उत्सव
28 अक्टूबर को नहाए खाए परंपरा से पर्व की शुरुआत हुई थी। इस दिन लौकी की सब्जी चावल का प्रसाद ग्रहण किया था। इसके अगले दिन 29 अक्टूबर को खरना यानी खीर रोटी खाकर निर्जला व्रत रखने का संकल्प लिया गया था। 30 को रविवार की शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया और आज सुबह सूर्योदय पर अर्घ्य देने के साथ ही उत्साह से पर्व का समापन हुआ।