चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पुराने नतीजों को खारिज करते हुए आम आदमी पार्टी उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजयी घोषित कर दिया है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा अमान्य घोषित किए गए सभी 8 वोटों को मान्य करार देने के निर्देश दिए. इन सभी वोटों के बैलेट पेपर पर रिटर्निंग ऑफिसर ने क्रॉस लगाया था।
बता दें कि, इस फैसले से पहले चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी मंगलवार के दिन रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह को भी कड़ी फटकार लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच विवाद के केंद्र में आठ “अमान्य” वोटों की जांच की, और कहा कि उन्हें “वैध वोट के तौर पर फिर से गिना जाएगा और ‘उसी के आधार पर परिणाम घोषित किए जाएंगे।”
वहीं कोर्ट की टिप्प्णी के बाद आम आदमी पार्टी में जश्न शुरू हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के अदालत के इस फैसले को लेकर पोस्ट भी किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने लिखा, “इस मुश्किल घड़ी में लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए आपका शुक्रिया”
मेयर चुनाव में अब तक क्या-क्या हुआ
10 जनवरी: यूटी प्रशासन ने 18 जनवरी को मेयर चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की
15 जनवरी: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए गठबंधन की घोषणा की
16 जनवरी: आप और कांग्रेस के नामांकन पत्र वापस लेने पहुंचने के बाद नगर निगम कार्यालय में हाथापाई हुई। आधी रात को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ कांग्रेस प्रमुख एचएस लक्की की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एक पार्षद को अवैध रूप से हिरासत में लेने का आरोप लगाया गया। हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी
17 जनवरी: हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी क्योंकि यूटी ने दावा किया कि पार्षद अवैध हिरासत में नहीं है और सुरक्षा उनकी मांग पर प्रदान की गई थी। हालांकि अदालत ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के निर्देश दिए।
18 जनवरी: मेयर चुनाव के लिए पहुंचने पर आप और कांग्रेस पार्षदों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन हुआ। पीठासीन अधिकारी के खराब स्वास्थ्य के कारण डीसी ने 6 फरवरी तक मतदान स्थगित किया। आप ने 24 घंटे के भीतर चुनाव की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।
23 जनवरी: हाईकोर्ट ने यूटी से 24 घंटे के भीतर अदालत में संभावित चुनाव की तारीख पेश करने को कहा, नहीं तो याचिका पर योग्यता के आधार पर फैसला करने की बात कही।
24 जनवरी: हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए 30 जनवरी को सुबह 10 बजे मेयर चुनाव कराने का आदेश दिया।
30 जनवरीः मेयर चुनाव में भाजपा ने गठबंधन को हराया। मनोज सोनकर मेयर बने। आप ने पीठासीन अधिकारी पर आठ वोट को अमान्य करार किए जाने के आरोप लगाए और हाईकोर्ट का रुख किया।
31 जनवरी: चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया। फिलहाल तुरंत राहत नहीं मिली है। अदालत ने चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया है और तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
5 फरवरी: आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। एससी ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की आलोचना की और कहा कि यह स्पष्ट है कि उसने बैलेट पेपरों को विकृत किया। यह लोकतंत्र का मजाक है। हत्या है। इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। 19 फरवरी को सुनवाई तय की गई।
18 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले मनोज सोनकर ने मेयर पद इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में चले गए।
19 फरवरीः सुप्रीम कोर्ट ने अनिल मसीह को फटकार लगाई। बैलेट पेपर मंगवाए और 20 फरवरी को फिर सुनवाई तय की।