अदाणी समूह के शेयरों में तेज गिरावट को लेकर विवाद के बीच शेयर बाजार के डाटा से पता चलता है कि केवल मौजूदा गिरावट ही नहीं, बल्कि पहले तेजी के दौरान भी समूह की कंपनियों के शेयरों ने नियामकों का ध्यान खींचा था और इन पर निगरानी बढ़ाई गई थी।
अमेरिका की वित्तीय शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई है। इस रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयरों के मूल्य में हेरा-फेरी का आरोप लगाया गया था। हालांकि, अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था। इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने पर सेबी को भी आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसके बाद सेबी ने कहा था कि वह शेयर बाजारों की अखंडता बनाए रखने को लेकर प्रतिबद्ध है और किसी भी व्यक्तिगत शेयर में अतिरिक्त उतार-चढ़ाव पर निगरानी के सभी आवश्यक उपाय करती है।
शेयर बाजारों के डाटा के अनुसार, 2019 से अब तक अदाणी समूह की सात कंपनियों के शेयरों पर कई बार नियामकीय निगरानी बढ़ाई गई है। शेयरों में अप्रत्याशित तेजी और गिरावट पर यह निगरानी बढ़ाई गई। गत तीन फरवरी से भी अदाणी समूह के छह कंपनियों के शेयरों पर अतिरिक्त निगरानी प्रणाली लागू की गई है।
अदाणी संकट से भारतीय बैंकों पर सीमित जोखिम नहीं
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिग्स ने कहा कि भारतीय बैंकों की ओर से अदाणी समूह को दिए गए कर्ज से बैंकों के क्रेडिट प्रोफाइल पर कोई बड़ा जोखिम नहीं दिख रहा है। फिच रेटिग्स ने कहा कि अदाणी समूह को दिए कर्ज से बैंकों के क्रेडिट प्रोफाइल पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इससे पहले तीन फरवरी को भी फिच रेटिग्स ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अदाणी समूह और इसके शेयरों संबंधी फिच की रेटिंग पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उधर, वैश्विक वित्तीय सेवा देने वाली फर्म जेपी मार्गन ने कहा है कि अदाणी समूह अभी भी उसके प्रभावशाली बैंड इंडेक्स में बने रहने के योग्य है। रायटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, अदाणी समूह हिंडनबर्ग विवाद का स्वतंत्र मूल्यांकन कराने पर विचार कर रहा है।