शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया कि कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद इम्यून कोशिकाओं से पैदा हुई एंटीबाडी धीरे-धीरे ज्यादा अभेद्य हो जाती है और कम से कम छह महीने तक सार्स सीओवी-2 वायरस के हमलों से बचाव करती है। अमेरिका स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने लोगों में फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन लगाने के बाद एंटीबाडी प्रतिक्रिया का विस्तार से आकलन किया। अध्ययन निष्कर्ष ‘नेचर” पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि टीकाकरण के बाद के महीनों में एंटीबाडी के स्तर में गिरावट मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में बदलाव के कारण आती है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अगर वायरस में बदलाव नहीं हुआ तो एंटीबाडी का काफी निम्न स्तर भी बीमारी के खिलाफ कुछ सुरक्षा प्रदान करता रहेगा। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर व अध्ययन के वरिष्ठ लेखक अली एलेबेडी ने कहा, ‘अगर वायरस नहीं बदला, तो इस वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वाले लोग अच्छी तरह सुरक्षित रहेंगे। एंटीबाडी की प्रतिक्रिया ठीक वैसी ही रही, जैसी हम मजबूत इम्यून से उम्मीद कर रहे थे। हमने कभी सोचा नहीं था कि वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के छह महीने बाद भी लोगों की एंटीबाडी की गुण्ावत्ता बेहतर होती रहेगी।”