कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के मैना मित्र और फ्रंट लाइन स्टाफ के निरंतर प्रयास से अब बस्तर की पहाड़ी मैना के संख्या में वृद्धि होने से आसपास के ग्रामों में भी देखने को मिल रही है। छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का प्राकृतिक रहवास कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ही है। यहां लगभग एक साल से स्थानीय समुदाय के युवाओं को प्रशिक्षण देकर मैना मित्र बनाया गया है। मैना मित्र पहाड़ी मैना के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार प्रयासरत हैं। अब उनकी मेहनत रंग ला रही है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि कैम्पा योजना अंतर्गत संचालित मैना संरक्षण एवं संवर्धन प्रोजेक्ट बस्तर की पहाड़ी मैना के सरंक्षण के लिए कारगर साबित हुआ है। प्रोजेक्ट के अंतर्गत मैना मित्रों द्वारा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगे 30 स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम का चलाया गया है। प्रत्येक शनिवार और रविवार को स्कूली बच्चों को पक्षी दर्शन के लिए ले जाया जा रहा है। इससे उनके व्यवहार में बदलाव भी देखा जा रहा है।
एक समय में जिन बच्चों के हाथ में गुलेल थे अब उनके हाथ में दूरबीन देखा जा रहा है। पहाड़ी मैना का रहवास साल के सूखे पेड़ों पर होता है, जहां कटफोड़वे घोंसले बनाते है। इसी कड़ी में बस्तर वन मंडल द्वारा साल के सुखे पेड़ों को काटने पर बस्तर प्रतिबंध लगाया गया है इससे मैना का रहवास कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बाहर भी सुरक्षित हो सके।