रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों की रणनीति को और ज्यादा धारदार बनाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ब्रसेल्स पहुंच गए हैैं। उन्होंने यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की आश्ांका जताई है। ब्रसेल्स में बाइडन नाटो के 29 सहयोगियों से मुलाकात करेंगे और भविष्य की रण्ानीति पर चर्चा करेंगे। ब्रसेल्स में ही यूरोपीय यूनियन के 27 सदस्य देशों के नेताओं से बाइडन की वार्ता होगी। इसके अतिरिक्त बाइडन रूस पर और कड़े प्रतिबंधों के संबंध में जी 7 के नेताओं से भी चर्चा करेंगे। इन चर्चाओं में यूक्रेन की आर्थिक और सैन्य मदद बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा। यहां से बाइडन पोलैैंड जाएंगे।
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने बताया है कि यूक्रेन के पड़ोसी देश पोलैैंड में राष्ट्रपति बाइडन वहां तैनात अमेरिकी सैनिकों से मिलेंगे। साथ ही पोलैैंड के राष्ट्रपति आंद्रजेज डूडा के साथ द्विपक्षीय, रणनीतिक और बड़ी संख्या में यूक्रेनी शरणार्थियों के आने से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा करेंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध शुुरू होने के बाद बाइडन की यह पहली विदेश यात्रा है। सुलीवान ने कहा है कि पिछले कुछ महीनों में पश्चिमी देशों की एकजुटता में बढ़ोतरी हुई है, वे पहले से ज्यादा करीब आए हैैं और मिलकर कार्य कर रहे हैैं। बाइडन की यात्रा का उद्देश्य इस एकजुटता को और मजबूत बनाना है। सुलीवान ने कहा है कि यूक्रेन पर हमलावर रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों का दबाव और बढ़ाया जाएगा। इस हिमाकत के चलते उसे दुनिया से अलग-थलग कर दिया जाएगा।
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की गुरुवार को होने वाली बैठक में रूस के पड़ोसी पूर्वी यूरोपीय देशों में चार हमलावर सैन्य इकाइयां तैनात करने का फैसला हो सकता है। नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि रूसी सीमा से लगे इस पूरे इलाके में हाल के महीनों में अत्याधुनिक हथियारों से लैस 40 हजार सैनिकों की तैनाती की गई है। यह तैनाती रूस के आक्रामक तेवरों को देखते हुए की गई है। नाटो प्रमुख ने कहा, रूस परमाणु हथियार के इस्तेमाल करने के गैर जिम्मेदाराना बयान देना बंद करे। इससे तनाव बढ़ रहा है। उन्होंने यूक्रेन में रासायनिक हथियारों और परमाणु हथियारों से बचाव के उपकरण और पोशाक भेजने का एलान किया है। स्टोल्टेनबर्ग ने चीन से रूसी हमले की निंदा करने का अनुरोध किया है। नाटो ने यूक्रेन को सैन्य सहायता बढ़ाने का भी संकेत दिया है। इस बीच ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि हथियारों की मदद से युद्ध खत्म नहीं होगा। शांति के लिए आपस में बातचीत जरूरी है। संबद्ध पक्षों को बैठकर मतभेद दूर करने चाहिए।