मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को विधानसभा चुनाव की तरह बंपर समर्थन मिलने का विश्वास है, लेकिन, ताजा आकलन बताता है कि आदिवासी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। शिवराज सरकार के समय भले पेसा एक्ट लागू हो गया था, लेकिन आदिवासियों को कोई उल्लेखनीय लाभ नहीं मिला है। बीजेपी के समक्ष जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन यानी जयस भी चुनौती पेश कर रहा है। जयस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था तो बीजेपी की स्थिति डगमगा गई थी। इस बात का भान प्रदेश बीजेपी नेताओं को भले ही ना हो, मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राष्ट्रीय नेतृत्व को है।
संघ की बैठक में एक तथ्य यह भी सामने आया है कि जिस तरह से विधानसभा चुनाव में माहौल कांग्रेस के पक्ष में था, लेकिन नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए। उसी तरह लोकसभा चुनाव में हर तरफ बीजेपी की लहर नजर आ रही है। भाजपाइयों का यह अति आत्मविश्वास कहीं नुकसान न पहुंचा दे। यही वजह है कि आदिवासी मतदाताओं का साधने के लिए संघ ने जनजागरण अभियान शुरू कर दिया है। संघ के स्वयंसेवक और पदाधिकारी सुदूर जंगलों में पहुंचकर आदिवासियों को मतदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके साथ बैठकें भी की जा रही हैं। आदिवासियों को सरकार की योजनाएं समझाई जा रही हैं। गत दिनों इंदौर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कहा था कि अति आत्मविश्वास में न रहें। यह न मानकर चलें कि मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व है ही। अगर ऐसा मानकर चल रहे हैं तो यह खुद और पार्टी के साथ अन्याय है।