
विज्ञानियों ने एक हालिया शोध में पाया कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से जहरीले कण फेफड़ों से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं। बमिर्ंघम यूनिवर्सिटी और चीन के शोध संस्थानों के विशेषज्ञों की टीम के अध्ययन निष्कर्ष को प्रोसीडिंग आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंस ने अपनी पत्रिका में प्रकाशित किया है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, हवा में तैर रहे विषाक्त कण खून में प्रवाहित होते हुए मस्तिष्क तक पहुंचते हैैं और उसे नुकसान पहुंचा सकते हैैं। विज्ञानियों ने सांस के साथ शरीर में प्रवेश करने वाले महीन कणों के एक संभावित मार्ग का भी पता लगाया है। ये कण अन्य मुख्य उपापचयी अंगों की तुलना में मस्तिष्क में ज्यादा समय तक ठहर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन के दौरान मस्तिष्क विकारों से पीड़ित लोगों से लिए गए सेरेब्रोस्पाइनल लिक्विड में कई महीन कण पाए। अध्ययन के सह लेखक व बमिर्ंघम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आइसेल्ट लिंच के अनुसार, ‘केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर वायुजनित महीन कणों के हानिकारक प्रभावों से संंबंधी हमारी जानकारी में भिन्नता है। अध्ययन में पाया गया कि नाक की तुलना में फेफड़े से खून के जरिये आठ गुना ज्यादा महीन कण मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं।”