कैंसर मरीजों को के कैंसर सेल को मारने के लिए कीमो और रेडिएशन थेरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके साइड इफेक्ट से भी बचाया जा सकेगा। कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी और उन दवाओं का विकल्प खोज लिया है, जो इलाज के दौरान सामान्य सेल्स को भी नुकसान पहुंचाती हैं। यह नई शोध इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में बायोकेमेस्ट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मुनीश पांडेय ने अमेरिकी विज्ञानियों के साथ मिलकर की है।
इसका सफल प्रयोग 11 विज्ञानियों की टीम ने अमेरिका स्थित क्लेवलैंड क्लीनिक में किया। टीम का नेतृत्व क्लेवलैंड क्लीनिक में कैंसर बायोलाजी के प्रो. डाक्टर यांग ली ने किया। टीम ने चूहों पर प्रयोग करते हुए एमआइआर-21 को प्रभावहीन बनाने के लिए उसका एंटी सेंस चूहे में इंजेक्ट किया। इसके बाद पाया गया कि चूहे के शरीर में बना टयूमर धीरे-धीरे छोटा हो गया। कुछ टयूमर तो पूरी तरह से खत्म हो गए। यह प्रयोग सालभर अमेरिका में चला। अभी मानव शरीर पर इसका प्रयोग नहीं हुआ है। पहले पायदान पर प्रयोग को सफलता मिलने के बाद अब मानव शरीर पर लागू करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया गया है। यह शोध औंको जीन नामक प्रतिष्ठित जर्नल में पब्लिशर नेचर स्प्रिंग की ओर से प्रकाशित किया गया है।
डा. मुनीश ने बताया कि कैंसर की बीमारी से शरीर में टयूमर बन जाते हैं। कीमोथेरेपी और दवाओं के जरिये इन टयूमर्स को खत्म किया जाता है। इलाज की इस प्रक्रिया में कैंसर सेल्स के साथ सामान्य सेल्स को भी नुकसान होता है। शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मरीज को भी काफी पीड़ा होती है। शोध के दौरान टीम ने पाया कि नई तकनीक से मरीज को बिना दर्द कैंसर से मुक्ति मिलेगी।