ड्रैगन सेना कूटनीतिक स्तर की वार्ता में सीमा से पीछे हटने की सहमति बावजूद LAC पर डटी हुई है। इससे पहले भी चीनी सेना ने यही किया था। उस समय कमांडर स्तर की बातचीत में सीमा से पीछे हटने को राजी हो गई थी। मगर जब भारतीय उसी जगह पर यह देखने पहुंची की चीनी सेना ने वार्ता की शर्तका पालन किया है या नहीं तो धोखे से हमला कर दिया। भारतीय सेना ने पिछली धोखाधडी से सबक लेते हुए अब सीमा न केवल डटी हुई है, बल्कि सतर्क भी है।
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव को कम करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की बातचीत के बावजूद लद्दाख के संवेदनशील क्षेत्र में दोनों देश के बीच तनाव को कम करने में सफलता नहीं मिली है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के कुछ प्वाइंट्स पर तनाव कम करने की प्रक्रिया रुकी हुई है।
पैंगोंग त्सो और डेपसांग सहित एलएसी के साथ लगे तनाव वाले क्षेत्रों में चीनी सैनिक अभी भी जमे हैं। एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि संघर्ष का एक लंबा दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। दोनों देश के बीच विवाद सर्दियों के महीनों तक जा सकता है और भारतीय सशस्त्र बल इस लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। भारतीय इलाक़ों में अब भी अपनी चीन सेना के साथ डटा है और वापस जाने का नाम नहीं ले रहा है। करीब ढाई महीने से ज़्यादा हो गया है। मेजर जनरल स्तर की दर्जनों और कोर कमांडर स्तर की भी चार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन जमीन पर अब भी ठोस बदलाव नहीं आया है।
14 जुलाई को भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की चौथी बातचीत में अगले फ़ेज़ को शुरू करने पर सहमति बनी थी, लेकिन चीन की सेना पहले फ़ेज़ के बाद एक क़दम भी पीछे नहीं हटी है। पहले फ़ेज़ में गलवान, हॉट स्प्रिंग गोगरा से 1 से 2 किलोमीटर तक चीन और भारतीय सेना पीछे हटी थीं। चीन की चालबाज़ी को देखते हुए भारतीय सेना ने दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कमर कस ली है। लद्दाख में भीषण ठंड पड़ती है। ऐसे में यहां के मौसम को देखते हुए भारतीय सेना ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
सैन्य सूत्रों के मुताबिक सीमा पर हमारे सैनिकों को हथियार की कोई कमी नहीं है। अब ठंड से बचने के लिए दूसरे सामान जैसे खास कपड़े, स्पेशल टेंट्स, गाड़ियों के लिए ईंधन और राशन पानी जमा कर लिए गए हैं। ठंड के दिनों में बर्फबारी के चलते सीमा पर कोई समान पहुंचाना मुश्किल चुनौती होगी।
एक सीनियर आर्मी ऑफिसर ने कहा कि हर साल लद्दाख में 30 हज़ार मैट्रिक टन राशन की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस साल दोगुने राशन की जरूरत है, क्योंकि इन दिनों वहां हज़ारों सैनिक तैनात हैं। चीन के सैनिक जल्दी LAC से पीछे हटने को तैयार नहीं है। लिहाज़ा हम लोग लंबे वक्त के लिए तैयारियां कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह संकेत दिया था कि तनाव को हल करने के लिए बातचीत की प्रक्रिया जटिल है। उन्होंने कहा कि वार्ता में प्रगति से सीमा विवाद को हल करने में मदद मिलनी चाहिए, लेकिन वह इस बात की गारंटी नहीं दे सकते हैं कि स्थिति को किस हद तक हल किया जाएगा।