छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले के भेजरीपदर गांव में एक धर्मांतरित आदिवासी महिला का शव दफनाने की बात पर विवाद हो गया। गांव के धर्मांतरित आदिवासी गांव के श्मशान में शव दफनाना चाहते थे, परंतु अन्य लोग इसके लिए सहमत नहीं थे। वे चाहते थे कि महिला का अंतिम संस्कार आदिवासी रीति रिवाज से किया जाए। विवाद इतना बढ़ा कि गांव के लोग आपस में ही भिड़ गए।
विवाद के बीच महिला का शव 24 घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा। सोमवार को दोनों पक्षों में झड़प होने लगी। बीचबचाव करने पहुंची पुलिस पर भी डंडा और पत्थर से हमला किया गया। इसमें तीन चार जवानों को चोट आई है। बाद में कलेक्टर चंदन कुमार व एसपी जितेंद्र मीणा गांव पहुंचे। अधिकारियों ने दोनों पक्षों को बुलाकर मामला शांत कराया। उनके हस्तक्षेप के बाद महिला का शव उसके घर के पीछे ही दफनाया गया।
एसडीओपी एश्वर्य चंद्राकर ने बताया कि भेजरीपदर गांव की मतांतरित महिला माते बेको (45) की बीमारी के चलते 19 मार्च को मौत हो गई थी। स्वजन जब उसका शव लेकर गांव के श्मशान की ओर जाने लगे तो गांव के अन्य आदिवासियों ने उनका रास्ता रोक लिया। स्वजन शव को लेकर वहीं बैठ गए तथा पुलिस को सूचना दी। पुलिस अधिकारियों के सामने भी ग्रामीणों ने महिला के शव को दफनाने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया।
रविवार दोपहर से गांव में पुलिस बल तैनात रहा। रातभर शव सड़क पर पड़ा रहा। सोमवार को दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया। धर्मांतरित समुदाय के लोग गांव में शव दफनाने की जिद पर अड़ गए। हालांकि, आदिवासी किसी भी कीमत पर इसके लिए तैयार नहीं थे। दोनों पक्षों में झड़प होने लगी। पुलिस ने हस्तक्षेप किया तो लोगों ने जवानों पर भी पत्थर व डंडे से हमला कर दिया। वर्तमान में पुलिस ने स्थिति संभाल ली है।