
Ekhabri धर्म दर्शन। नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा की शक्ति कालरात्रि को समर्पित है, इस दिन मां कालरात्रि स्वरुप की आराधना की जाती है, माता कालरात्रि की उपासना से शत्रुओ और नकारात्मक शक्तियों पर विजय मिलती है, मां कालरात्रि ममतामयी रूप में अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है।
मां कालरात्रि की प्राकट्य होने का कारण –
असुरो के राजा शुंभ और निशुंभ दोनो भाई और आसुरो का मंत्री रक्तबीज ने स्वर्ग और पृथ्वी पर ऋषियों, मुनियों, देवताओं और मनुष्यों पर अत्याचार करता था। असुरों से परेशान होकर सभी ऋषि, मुनि, देवता, भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे असुरों के अत्याचार से रक्षा की प्रार्थना किए। तब साथ में शंकर जी ने माता पार्वती से अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए प्रार्थना किए। शंकर जी के प्रार्थना से माता पार्वती देवी कालरात्रि का स्वरूप धारण कर दोनो भाई शुभ और निशुंभ राक्षस का वध किये । फिर माता कालरात्रि सौम्य रूप में आकर सभी को आशीर्वाद दिए, असुर शुंभ निशुंभ का वध करने से माता का नाम शुभंकरी पड़ा।
मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि का स्वरूप –
मां कालरात्रि कृष्ण ( काला ) वर्ण के है घोर अंधकार जैसे माता काली है। माता के तीन नेत्र है, और तीनो नेत्र ब्रह्मांड के जैसे ही गोल हैं। मां के सिर के बाल हमेशा बिखरे हुए होते हैं, और अपने विशाल केश चारों दिशाओं में फैलाती हैं। मां चार भुजा वाली है जो वर्ण और वेश में तांडव मुद्रा में नजर आती हैं। वही माता के आंखों से ज्वालामुखी की वर्षा होती रहती है। मां के एक हाथ में खप्पर दूसरे हाथ में खड्ग तलवार तीसरे हाथ में वर मुद्रा है, वही चौथे हाथ अभय मुद्रा में है, इनकी सवारी गर्दभ ( गधा ) है, जो समस्त जीव जंतुओं में सबसे ज्यादा मेहनती और निर्भय होकर सेवा करने वाला है देवी कालराात्रि को लेकर इस संसार में विचरण कर रहा है।
मां कालरात्रि पूजा विधि –
मां कालरात्रि की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के सप्तमी के दिन किया जाता है। महासप्तमी की पूजा सुबह और रात्रि दोनों समय की जाती है। माता की पूजा आसन पर बैठ कर करें। मां की प्रतिमा के आसपास गंगाजल से छिड़काव करें। इसके बाद घी का दीपक जलाए इसके बाद रोली, अक्षत, गुड़हल का फूल आदि चीजें अर्पित करें। साथ ही गुड़ घी का मिश्रण से होम दे! मां कालरात्रि को फूड़हल के फूल प्रिय हैं, साथ में गुड़ का भोग लगाए। इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती करे! सुबह शाम आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करे! और मां दुर्गा के मंत्रों का भी जाप करे। रक्त चंदन की माला से मंत्रों का जाप करें।
मां कालरात्रि का मंत्र-
।ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः |
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ!!
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान कर।