हम सबके मन में एक विचार जो अत्यधिक कौंधता है, वो है डर। नई और अंजान चीजों के लिए डर। पर डर से भागने से वो और ताकतवार होती है। अगर उसको हराना है तो उसका एक ही उपाय है, उसका डट कर सामना करना।
एक बार स्वामी विवेकानंद जी जब छोटे थे तो वो अक्सर एक गली से रोज़ गुज़रा करते थे। वहाॅ हमेशा तीन-चार कुत्तों का झुंड होता था, जो स्वामीजी को देखते ही भोकतें और उनका पीछा करने लगते थे। स्वामीजी भी हर बार डर से उनको देखते ही दौड़ पड़ते थे। ये सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। एक दिन कुत्तो को देखते ही जैसे ही वो भागने लगे, तो उन्हें वहा खड़े एक अनजान व्यक्ति ने रोका और पूछा कि तुम क्यों भाग रहे हो? स्वामीजी ने उत्तर दिया कुत्तों के डर से। यह सुनकर उस व्यक्ति ने कहा की बेटा अगर तुम अपने डर से भागोगे तो वो और ताकतवर होगा और तुम्हें और डराऐगा। डरो मत टिके रहो। अपने डर का डट कर सामना करो और देखो कि वो तुमसे डर के भागेगा। स्वामीजी को ये बार जच गई। वो पलटे और भागने के बजाऐ उन कुत्तों के सामने खड़े हो गए। और सच में जैसे ही वो कुत्ते नजदिक आए तो स्वामीजी को रुका देख के चौंक गए और भौकने लगे। परंतु जब देखा की स्वामीजी नहीं भाग रहे तो वो खुद वहाॅ से भाग गए। इस घटना ने स्वामीजी को बहुत बड़ा सबक दिया। इसलिए एक बार स्वामीजी ने भी कहा कि डर से भागो मत बल्कि उसका सामना करो। इसलिऐ मुश्किल परिस्थति का सामना करें और सफल प्राप्त करें।