झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाते हुए हाट-बाजार और सार्वजनिक आयोजनों के संचालन को लेकर कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया है कि अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या स्थानीय निकायों की अनुमति के बिना कहीं भी हाट-बाजार नहीं लगाए जा सकेंगे। इसके साथ ही स्थानीय निकायों को हाट-बाजार आयोजित करने के लिए आर्थिक जमानत जमा करनी होगी, जो तभी लौटाई जाएगी जब बाजार स्थल से प्रतिबंधित प्लास्टिक सामग्री पूरी तरह हटाई जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि प्लास्टिक बैग और बोतलों पर रोक के बावजूद जमीनी स्तर पर आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। यह प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाता है। कोर्ट ने कहा कि पहले जारी निर्देशों के बावजूद खुलेआम प्लास्टिक का उपयोग गंभीर चिंता का विषय है।
अदालत ने 500 से अधिक लोगों की भागीदारी वाले सार्वजनिक आयोजनों के लिए भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति और प्रति व्यक्ति 10 रुपये की अग्रिम जमानत अनिवार्य कर दी है। आयोजन स्थल के साफ मिलने पर ही यह राशि लौटाई जाएगी। इसके अलावा हाईकोर्ट ने नॉन-डिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग की बिक्री पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। साथ ही एनएच-33 चौड़ीकरण के दौरान पौधरोपण में खर्च और पौधों की स्थिति पर एनएचएआई से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।










