छत्तीसगढ़ और पंजाब से लेकर त्रिपुरा तक इसलिए परेशान है कांग्रेस

देश में कांग्रेस चंद राज्‍यों में सिमट गई है। इसके बावजूद पूरी पार्टी परेशानी से जूझ रही है। छत्तीसगढ़,  पंजाब और त्रिपुरा में कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। यहां गुटबाजी के कारण सरकार पर संकट के बादल मंडराते रहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कांग्रेस पार्टी में बीमारी क्‍या है। जिन राज्यों में क्षेत्रीय दलों की भाजपा से सीधी टक्‍कर है,  वहां के कांग्रेस नेतृत्व का रवैया ही विपक्षी एकता में सबसे बडी रुकावट है। एक तरफ कांग्रेस एक-एक कर अधिकांश राज्‍यों ने सत्ता गंवाती जा रही है। इसका उदाहरण कर्नाटक और मध्य प्रदेश है। पंजाब में कांग्रेस नेतृत्व का रवैया पार्टी की टूट और विवाद का कारण रहा। कांग्रेस के उम्रदराज क्षत्रप शीर्ष नेतृत्व की परेशानी बढ़ाने वाले ही काम कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी और विवाद हर दौर में रहा। कांग्रेस टूटती रही है। सबसे बड़ी टूट के बाद मौजूद कांग्रेस है। यह कांग्रेस इंदिरा गांधी के वफादारों की कांग्रेस मानी जाती है। आपातकाल के बाद इंदिरा ने जब सत्ता में वापसी की तो पार्टी में उनके विरोधियों के मुंह हो गए। इससे पहले तक कांग्रेस में विभाजन इस बात का संकेत था कि कांग्रेस के महत्वपूर्ण फैसले इंदिरा गांधी अकेले लेना चाहती थीं।

इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी का अस्सी के शुरूआती दशक में स्वर्णिम काल रहा है। देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक राजनीति में कोई चुनौती कांग्रेस के सामने नहीं आई। इंदिरा अपने समकालीन नेताओं को साधती थीं  और उनके पुत्र संजय गांधी युवा बिग्रेड के नेता थे। वहीं, नब्बे के दशक तक हर राज्य में एक से अधिक कांग्रेस के ऐसे कद्दावर नेता थे,  जो चुनाव नतीजों को प्रभावित रखने की क्षमता रखते थे। उत्तर प्रदेश में कई सालों तक नारायण दत्त तिवारी और विश्वनाथ प्रताप सिंह महत्वपूर्ण चेहरा बने रहे।

Read Also  पूर्व IPS आचार्य किशोर कुणाल का निधन

संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी का राजनीति में प्रवेश तो हुआ, लेकिन,  वे संजय का विकल्प नहीं बन सके। 1984 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद भी राजीव पार्टी में असंतोष पर लगाम नहीं लगा सके थे। उनकी सरकार गिराने की कोशिश भी असंतुष्टों ने की थी। इंदिरा और फिर राजीव की हत्या के बाद कांग्रेस का पतन तेजी से होना शुरू हो गया। अधिकांश राज्यों की सत्ता कांग्रेस के हाथ से निकलकर क्षेत्रीय दलों के हाथों में चली गई। कांग्रेस का नेतृत्व जमीनी राजनीति से भी दूर होता दिखा।

यही वही दौर था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्‍यों के क्षत्रपों की महत्वाकांक्षाएं चरम पर थीं। इसके कारण राज्‍यों में नए नेतृत्व नहीं उभर पाया। इस दौर में मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह सबसे ताकतवर नेता थे। उनके नेतृत्व में ही सोनिया गांधी को सक्रिय राजनीति में लाने की मुहिम चलाई गई थी। उस समय प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पीवी नरसिंहराव थे, जबकि सीताराम केसरी अध्यक्ष थे।

सोनिया गांधी के नेतृत्व में वर्ष 2004 में लगभग आठ साल बाद कांग्रेस सरकार में लौटी थी। सोनिया प्रधानमंत्री नहीं बनीं। उन्‍होंने डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनाया। हालांकि,  इस य‍ह निर्विवाद रूप से सत्‍य है कि यूपीए-एक और यूपीए-दो की सरकार पर्दे के पीछे सोनिया गांधी ही चलाती थीं। डॉ मनमोहन सिंह अर्थशास्त्री हैं। उनका राजनीति से कोई वास्ता नहीं रहा। इसके कारण पार्टी को जो राजनीतिक लाभ सरकार से मिलना चाहिए वह नहीं मिला।

इसके बाद राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा तो कांग्रेस में बड़े परिवर्तन की जो उम्मीद बनी थी। मगर राहुल का रवैया रोज नए विवादों को जन्म देता रहा।  आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी को लेकर जो रवैया नेतृत्व का रहा,  वही अब में हिंदी पट्टी में देखने को मिल रहा है। राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया कार्यवाहक अध्यक्ष हैं,  लेकिन  राहुल आज भी पहले की तरह फैसले ले रहे हैं। पार्टी में प्रियंका वाड्रा भी सत्ता का एक केंद्र बन रही हैं। कांग्रेस के युवा चेहरों में असंतोष का कारण नेतृत्व का उपेक्षापूर्ण रवैया है। माना जाता है कि इंदिरा की तरह सोनिया-राहुल पार्टी पर पकड़ बनाए रखने के लिए राज्यों में गुटबाजी को बढ़ावा तो दे रहे हैं, लेकिन,  उस पर संतुलन नहीं बना पा रहे। इसके कारण जहां राज्‍यों में कांग्रेस सरकारों का पतन हो रहा है, वही नेता भी पार्टी छोड़कर जा रहे हैं।

Read Also  श्रीराम मंदिर भूमिपूजन में शामिल होने वाले 200 अतिथियों के नाम पर PMO की मुहर

आज त्रिपुरा से लेकर छत्तीसगढ़ तक कांग्रेस में जबरदस्‍त सिर फुटौव्‍वल जारी है। असम महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़ दी है। त्रिपुरा के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पीयूष कांति ने भी इस्तीफा दे दिया। पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझ भी नहीं पाया है। सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ मुहिम चला रखी है।

छत्तीसगढ़ में सरकार के नेतृत्व का विवाद भी राहुल को माना जा रहा है। 2018 के विधानसभा चुनवों में कांग्रेस ने तीन राज्यों की सरकार में वापसी की थी। दो राज्य मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के क्षेत्रीय मठाधीशों के चंगुल में फंसी है। राजस्थान में अशोक गहलोत के कारण सचिन पायलट को राजनीतिक वनवास भोग रहे है तो इसी रवैये के कारण मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे। यहां तो कांग्रेस की सरकार भी चली गई। इसके बाद भी पार्टी का नेतृत्व कमलनाथ कर रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में सरकार बनी तो दो मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को ढाई-ढाई साल का मौका देने का फार्मूला बना। सिंहदेव अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उधर, राहुल दोनों के बीच शक्ति परीक्षण करवा रहे हैं। कांग्रेस की मौजूदा स्थिति यह संकेत दे रही है कि सोनिया-राहुल को इंदिरा-राजीव युग के भरोसेमंद लोग ही उपयोगी लग रहे हैं।

Share The News




CLICK BELOW to get latest news on Whatsapp or Telegram.

 


Breaking News: कैबिनेट बैठक में सरकारी कर्मचारियों और दिव्यांगजनों पर बड़े फैसले

By User 6 / September 30, 2025 / 0 Comments
तारीख: 30 सितम्बर 2025 | स्थान: रायपुरछत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद की बैठक मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित हुई। इस बैठक में सरकारी कर्मचारियों, दिव्यांगजनों और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए।  ...

PM मोदी का छत्तीसगढ़ दौरा,तीन दिन दो रात गुजारेंगे छत्तीसगढ़ में,डीजी कॉन्फ्रेंस में होने शामिल

By User 6 / October 1, 2025 / 0 Comments
रायपुर/ छत्तीसगढ़ में पहली बार डीजी कॉन्फ्रेंस होने का रहा है। इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के डीजीपी शामिल होने और नई योजनाओं के होने वाली प्रैक्टिसेज पर चर्चा होगी। इस कार्यक्रम को लेकर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व गृह...

छत्तीसगढ़ की तीन यूनिवर्सिटी भी यूजीसी डिफॉल्टर सूची में

By User 6 / October 2, 2025 / 0 Comments
नई दिल्ली।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देशभर की 54 निजी राज्य विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया है। इनमें से तीन यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ की हैं। आयोग के मुताबिक, इन संस्थानों ने अनिवार्य जानकारी समय पर जमा नहीं की और न ही...

नवरात्रि पर रायपुर को बड़ी सौगात, 117 करोड़ से तीन ओव्हरपास

By User 6 / September 30, 2025 / 0 Comments
रायपुर, 29 सितम्बर 2025। राजधानी रायपुर के लोगों के लिए बड़ी सौगात मिली है। उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव ने रिंग रोड क्रमांक-2 के हीरापुर चौक (गणपत चौक) में 117 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से...

गृह निर्माण मंडल संपत्तियां फ्री-होल्ड, हजारों आवंटियों को मिलेगा लाभ

By User 6 / October 1, 2025 / 0 Comments
रायपुर।छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत देते हुए गृह निर्माण मंडल की सभी योजनाओं की संपत्तियों को फ्री-होल्ड करने का रास्ता साफ कर दिया है। अब हितग्राहियों को जटिल लैण्ड डाइवर्सन प्रक्रिया और अतिरिक्त शुल्क से छुटकारा मिलेगा।  ...

रायपुर में होटल, क्लब और रेस्टोरेंट अब रात 12 बजे ही हो जाएंगे बंद

By Reporter 1 / September 28, 2025 / 0 Comments
रायपुर शहर के तेलीबांधा इलाके में स्थित होटल, बार, क्लब, पब और रेस्टोरेंट अब रात 12 बजे के बाद पूरी तरह बंद रहेंगे। प्रशासन ने शनिवार को सभी संचालकों को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निर्धारित समय...

गुरु गोविंद सिंह शाखा के स्वयंसेवकों ने मनाई विजयदशमी

By User 6 / October 2, 2025 / 0 Comments
रायपुर। विजयदशमी के अवसर पर 2 अक्टूबर को सियान सदन टाटीबंध, रायपुर में गुरु गोविंद सिंह प्रभात शाखा के स्वयंसेवकों द्वारा भव्य शस्त्र पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।   इस मौके पर समाजसेवी ईश्वर दयाल अग्रवाल, भारतीय सेना से...

126वीं मन की बात: तिरंगा लहराकर बेटियों ने बढ़ाया मान

By User 6 / September 28, 2025 / 0 Comments
रायपुर, 28 सितंबर 2025।मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित सिंधु पैलेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 126वीं कड़ी का श्रवण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’...

मुर्गे को मारने के लिए चलाई गोली, निशाना चूका और चली गई सो रहे पड़ोसी की जान

By Reporter 1 / September 28, 2025 / 0 Comments
तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले से एक बेहद अजीब और दुखद घटना सामने आई है, जहां एक शख्स ने मुर्गे पर गोली चलाई, लेकिन निशाना चूकने से गोली पड़ोस के घर में सो रहे एक युवक को जा लगी, जिससे उसकी...

20 या 21 अक्टूबर इस साल कब है दिवाली ? यहां देखें क्या है इसकी सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त

By User 6 / September 30, 2025 / 0 Comments
Diwali 2025: देशभर में दिवाली का त्योहार बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। हर साल कार्तिक माह की अमावस्या पर दिवाली का त्योहरा मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर में दीए जलाकर और रंगोली बनाकर मां...