कर्म से डरिए, भगवान तो माफ कर भी देंगे पर कर्म माफ नही करेगे। हम अच्छी सोच के साथ अगर काम को चालू करें तो उसका फल भी अच्छा होगा लेकिन अगर हमारी सोच हमारा मन ही खराब होगा तो हमारी सुनवाई भगवान के द्वार में भी नही हो पाएगी और मान लीजिए की अगर भगवान ने माफ भी कर दिया पर आप को कर्म माफ नही करेगे आपको उसका फल भुगतना ही होगा।
इस लिए ही कहते हैं अच्छी सोच के साथ अच्छे फल की भी कामना करनी चाहिए। हम जब दूसरों का भला कहेंगे तो हमारा भी भला होता और कृपा बरसेगी।









