फलोंदार पेड़ ही झुकता है, ये बात पहले भी आपने सुनी होगी पर क्या कभी इस पर अमल किया है। इसका अर्थ यह है कि जिस पेड़ में फल होते हैं वह खुद ब खुद झुक जाता है और जिस पेड़ में फल ही नहीं होते वह हर मौसम और परिस्थति में अड़ा खड़ा रहता है, कहने का तात्पर्य यह है कि नम्र व्यक्ति ही अपनी सरता का परिचय देते हुए झुकते हैं और अपने अभिमान में लिप्त व्यक्ति कभी किसी के सामने नहीं झुक सकता। इस दुनिया में तरह-तरह के लोग हैं, लेकिन किसी को नीचा दिखा कर अपने आप पर अभिमान करना गलत है, ऐसे लोगों को अगर सफलता मिल भी गई तो वह उसके सुकून को महसूस नहीं कर पाते क्योंकि उस वक्त भी उनका अभिमान झुकने नहीं देता।