
हाई कोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रमोशन में उम्र की सीमा को गलत बताया है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि या तो नियम बदले या उम्र की सीमा में छूट दें। कोर्ट के इस आदेश से उन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राहत मिली, जो 45+ होने के कारण प्रमोशन से वंचित हो रही थी। राज्य सरकार ने 2021 में 200 पद और 2023 में 440 पद सुपरवाइजरों की भर्ती के लिए निकाले थे। इनमें से 50 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती से भरा जाना था और शेष 50 प्रतिशत में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रमोशन के माध्यम से मौका दिया जाना था।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और अन्य कई कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर बताया था कि उन्होंने लंबे समय तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में सेवाएं दी हैं, लेकिन उम्रसीमा 45 वर्ष तय करने के कारण उन्हें भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है। एक अन्य याचिकाकर्ता सुषमा दुबे को इसी आधार पर चयन होने के बावजूद पदोन्नत नहीं किया गया। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शासन ने नियमों का हवाला देते हुए बताया कि उक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुपरवाइजर नहीं बनाए जा सकते।
जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा कि उक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने वर्षों तक विभाग में सेवा दी है। सरकार या तो नियमों में संशोधन करे या फिर भर्ती प्रक्रिया में याचिकाकर्ताओं की उम्र सीमा में छूट दे। यह उचित नहीं है कि 45 वर्ष की आयु कुछ समय पूर्व ही पूरा करने वाले कार्यकर्ताओं को पदोन्नति प्रक्रिया में भाग लेने से रोका जाए।