कानपुर-यूपी के कानपुर के हैलट अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित 14 बच्चों को HIV और हेपेटाइटिस B-C संक्रमित ब्लड चढ़ा दिया गया। इससे बच्चे HIV और हेपेटाइटिस B-C से पीड़ित हो गए। इसका खुलासा तब हुआ, जब 4 दिन पहले कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज यानी हैलट अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित 180 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। ) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को दावा किया कि कानपुर के एक अस्पताल में थैलीसीमिया के पीड़ित 14 बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिससे इन बच्चों को एचआईवी एड्स और हेपेटाइटिस बी, सी जैसी बीमारियां हो गई हैं।उन्होंने यह सवाल भी किया कि इस मामले में जवाबदेही क्यों नहीं तय की गई? दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज ने इसका खंडन करते हुए कहा कि 2019 के बाद से अस्पताल में खून चढ़ाने वाले किसी भी थैलेसीमिया रोगी के एचआईवी के संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने ‘एक्स’ पर अस्पताल का बयान साझा किया और कहा कि यह कानपुर घटना की तथ्यात्मक स्थिति है। खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर दावा किया, ‘‘ डबल इंजन सरकार ने हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को डबल बीमार कर दिया है। उप्र के कानपुर में एक सरकारी अस्पताल में थैलीसीमिया के 14 बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिससे इन बच्चों को एचआईवी एड्स और हेपेटाइटिस बी, सी जैसी चिंताजनक बीमारियां हो गई हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह गंभीर लापरवाही शर्मनाक है। मासूम बच्चों को भाजपा सरकार के इस अक्षम्य अपराध की सजा भुगतनी पड़ रही है।’’ खरगे ने सवाल किया, ‘‘ (प्रधानमंत्री) मोदी जी कल हमें 10 संकल्प लेने की बड़ी-बड़ी बातें सिखा रहे थे, क्या उन्होंने कभी अपनी भाजपा सरकारों की रत्ती भर भी जवाबदेही तय की है ?’ कानपुर अस्पताल ने कहा कि 2019 के बाद से अस्पताल में रक्त चढ़ाने वाले किसी भी थैलेसीमिया रोगी के एचआईवी से संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई है। उसने एक अखबार में प्रकाशित खबर को ‘तथ्यों की गलत बयानी’ करार दिया। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला ने कहा कि रक्त चढ़ाने की प्रक्रिया से गुजर रहे थैलीसीमिया वाले एक बच्चे के 2019 में और एक अन्य के 2014 में एचआईवी से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। उन्होंने कहा, ‘‘इन दोनों मरीजों को अन्य स्थानों से रक्त चढ़ाया गया था। 2014 से 2016 तक छह और मरीज हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण से संक्रमित पाए गए थे।’’