रूस, चीन और यूक्रेन आदि देशों से मेडिकल की डिग्री लेकर आए करीब 90 हजार भारतीय डाक्टर कोरोना के मरीजों के इलाज करने के लिए भारतीय लाइसेंस मांग रहे हैं। इसी तरह बांग्लादेश, फिलीपींस, नेपाल और किर्गिस्तान समेत ऐसे कई देशों के मेडिकल छात्रों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए इन्हें भारत में एक विशेष परीक्षा पास करनी होती है। अब ये लोग बिना परीक्षा के ही लाइसेंस मांग रहे हैं।
आल इंडिया फारेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमन ने सोमवार को कहा कि ऐसे भी बहुत से भारतीय चिकित्सक हैं, जो परीक्षा दे चुके हैं। लाइसेंस के लिए नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम विदेशी मेडिकल छात्रों को सर्जरी करने की छूट नहीं मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें ऐसे कठिन समय में कोरोना के फ्रंटलाइन वर्करों के तौर पर मरीजों का इलाज करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जल्द ही भारत में कोरोना की तीसरी लहर आएगी जो और भी भयावह स्थिति ला सकती है। एक प्रख्यात हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. देवी शेट्टी ने कहा कि आने वाले हफ्तों में हम आइसीयू में मरीजों की मृत्यु होते देखेंगे क्योंकि डॉक्टर और नर्सें कम पड़ जाएंगे।